Edited By Kuldeep, Updated: 01 Sep, 2025 10:20 PM

हिमाचल प्रदेश विधानसभा से लोक उपयोगिता प्रतिषेध विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। विधेयक को राज्यपाल की अनुमति मिलने के बाद इस संदर्भ में अधिसूचना जारी होने के बाद यह प्रभावी होगा।
शिमला (कुलदीप): हिमाचल प्रदेश विधानसभा से लोक उपयोगिता प्रतिषेध विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। विधेयक को राज्यपाल की अनुमति मिलने के बाद इस संदर्भ में अधिसूचना जारी होने के बाद यह प्रभावी होगा। इस कानून के बनने के बाद लोक उपयोगिता में विघ्न डालने पर 6 महीने के कारावास तथा 2 से 10,000 रुपए तक जुर्माना होगा। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी की अनुपस्थिति में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने सदन में विधेयक को पारित करने के लिए प्रस्तुत किया। विधेयक के प्रावधानों के अनुसार प्रदेश में कई रास्ते, पेयजल-सिंचाई योजनाएं, सरकारी भवन, नहरें व कई अन्य लोक उपयोगिता से जुड़े अधोसंरचना विकास के कार्य ऐसी जमीनों पर हुए हैं, जिनका स्वामित्व किसी व्यक्ति, फर्म, कंपनी, न्यास अथवा सोसायटी के पास है।
इनमें लोक उपयोगिता के कार्य सरकारी अथवा जनसाधारण के धन से हुए हैं। कई जमीनों के स्वामियों के साथ तो लिखित में उपयोगिता को लेकर समझौता हुआ है, मगर कई मौखिक हैं। ऐसे में अब जमीनों के भाव बढ़ने से लोग लोक उपयोगिता वाली जमीनों पर अपना हक बता रहे हैं। लोक उपयोगिता की चीजों को परिवर्तित किया जा रहा है अथवा इनमें विघ्न डाला जा रहा है। इसको देखते हुए लोक हित में सरकार ने इस बारे कानून का मसौदा तैयार किया, जिससे लोक हित में कोई भी व्यक्ति विघ्न नहीं डाल सकेगा।
हिमाचल प्रदेश पंचायती राज संशोधन विधेयक पेश
विधानसभा में पंचायती राज संशोधन विधेयक-2025 पेश किया गया। पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह की अनुपस्थिति में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने संशोधन विधेयक सदन में पेश किया। देश में आईपीसी, सीआरपीसी व भारतीय साक्ष्य कानून के स्थान पर केंद्र सरकार ने भारतीय न्याय संहिता-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता व भारतीय साक्ष्य संहिता को लागू किया है। पंचायती राज कानून में संशोधन कर सरकार इसमें आईपीसी, सीआरपीसी व आईईसी के प्रावधानों के स्थान पर बीएनएस की धाराओं को शामिल करेगी। पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचन नामावली, निर्वाचन व्यय व निर्वाचकों से संबंधित मसलों के साथ पंचायतों के कार्यकलापों, निलंबन व देयों की वसूली बीएनएस के प्रावधानों के तहत करने के उद्देश्य से कानून में संशोधन किया गया है।