विवेकानंद अस्पताल में बढ़ेगी बिस्तर क्षमता, कई नई सुविधाओं का होगा सृजन : शांता कुमार

Edited By Vijay, Updated: 14 May, 2022 11:59 PM

shanta kumar in palampur

पूर्व मुख्यमंत्री एवं विवेकानंद चिकित्सा न्यास के अध्यक्ष शांता कुमार ने कहा कि विवेकानंद चिकित्सा संस्थान में शहीद कैप्टन सौरभ कालिया की स्मृति में नॄसग कालेज को सरकार ने स्वीकृति प्रदान कर दी है तथा अब अन्य औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। इसी माह...

पालमपुर (ब्यूरो): पूर्व मुख्यमंत्री एवं विवेकानंद चिकित्सा न्यास के अध्यक्ष शांता कुमार ने कहा कि विवेकानंद चिकित्सा संस्थान में शहीद कैप्टन सौरभ कालिया की स्मृति में नॄसग कालेज को सरकार ने स्वीकृति प्रदान कर दी है तथा अब अन्य औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। इसी माह निरीक्षण टीम संस्थान का दौरा करेगी। उन्होंने बताया कि विवेकानंद के साथ संस्थान में सुविधाओं का विस्तारीकरण किया जा रहा है। ऐसे में बिस्तरों की क्षमता बढ़ाकर 150 की जा रही है। वहीं आईसीयू बैड की संख्या बढ़ाकर 50 बिस्तर की जा रही है। संस्थान में अत्याधुनिक एमआरआई सुविधा भी आरंभ की जाएगी। 

अस्पताल में आने वाला धन किसी की जेब में नहीं जाता 
शांता कुमार ने कहा कि कांगड़ा जिले का पहला ट्रामा सैंटर वर्ष 2013 से संस्थान में लोगों को सेवाएं प्रदान कर रहा है तथा न्यूरो सर्जरी, ऑर्थोपैडिक, जनरल सर्जरी तथा क्रिटिकल केयर के लगभग 3000 केस ट्रामा सैंटर के माध्यम से किए गए हैं। अस्पताल में ईसीएचएस, हिमकेयर तथा आयुष्मान भारत के अंतर्गत 2040 सर्जरी की गई हैं तथा 840 रोगियों का इंडोर उपचार भी किया गया है। अस्पताल में 50 डाॅक्टर व कंसलटैंट, 130 नर्सिंग स्टाफ, 24 पैरामेडिकल तथा 130 सपोर्ट स्टाफ  है। शांता कुमार ने कहा कि अस्पताल में आने वाला धन किसी की जेब में नहीं जाता तथा अस्पताल में सुविधाओं के विस्तारीकरण पर ही इसका व्यय किया जाता है। इस अवसर पर संस्थान के प्रमुख डाॅ. विमल दुबे और नरेश आचार्य भी उपस्थित रहे।

वीरभद्र सिंह ने हाथ मिलाकर किया था प्रॉमिस
जब कांग्रेस के कुछ मित्र इस संस्थान की भूमि को किसी और को देने का प्रयास करने लगे तो तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से मिलकर जमीन किसी और को न देने का आग्रह किया। 15 नवम्बर 1991 को अपोलो समूह के साथ मिलकर इस अस्पताल का शिलान्यास किया तथा 24 महीने के अंतराल में अस्पताल बनाने का निर्णय लिया गया, परंतु 6 दिसम्बर, 1991 को अयोध्या में बाबरी ढांचा ढहाए जाने के बाद सरकार गिर गई। मुख्यमंत्री न रहने का उन्हें दुख नहीं हुआ परंतु बड़ा स्वप्न कहीं टूट न जाए, इसे लेकर वह चिंतित अवश्य थे। कांग्रेस के कुछ मित्र भी इस भूमि को किसी और को देने के लिए दबाव बना रहे थे। ऐसे में वीरभद्र सिंह के सामने बात रखी, जिस पर उन्होंने हाथ मिलाकर जमीन किसी अन्य को न देने का प्रॉमिस किया था।

हिमाचल की खबरें Twitter पर पढ़ने के लिए हमें Join करें Click Here
अपने शहर की और खबरें जानने के लिए Like करें हमारा Facebook Page Click Here

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!