हाईकोर्ट ने बरकरार रखा निचली अदालत का फैसला, दुष्कर्म के दोषी को भुगतनी पड़ेगी ये सजा

Edited By Vijay, Updated: 23 Dec, 2022 10:13 PM

rape accused will have to face this punishment

प्रदेश हाईकोर्ट ने स्कूल के अध्यापक जगतार सिंह को दुराचार के जुर्म के लिए सुनाई गई 10 साल के कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए निचली अदालत के फैसले पर अपनी मोहर लगा दी। जगतार सिंह को विशेष न्यायाधीश सिरमौर ने 10 वर्ष की कठोर कारावास व 10 हजार रुपए...

शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने स्कूल के अध्यापक जगतार सिंह को दुराचार के जुर्म के लिए सुनाई गई 10 साल के कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए निचली अदालत के फैसले पर अपनी मोहर लगा दी। जगतार सिंह को विशेष न्यायाधीश सिरमौर ने 10 वर्ष की कठोर कारावास व 10 हजार रुपए जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई थी। जुर्माने की अदायगी न करने की सूरत में दोषी को एक वर्ष के अतिरिक्त कारावास काटने के भी आदेश दिए गए थे। मामले के अनुसार सितम्बर, 2016 में स्कूल की छुट्टी के पश्चात पीड़िता को उसके अंग्रेजी के अध्यापक ने अखबार में लिप्त एक पैकेट दिया और उसके कमरे में रखने को कहा। पीड़िता जब कमरे में पहुंची तो अध्यापक पहले से ही वहां मौजूद था। जैसे ही पीड़िता कमरे में दाखिल हुई अध्यापक ने कमरे को कुंडी लगा कर बंद कर दिया। पीड़िता ने शोर मचाया तो दोषी ने उसे जान से मारने की धमकी दी। इसके बाद दोषी ने उससे दुष्कर्म किया। धमकाए जाने के कारण पीड़िता ने किसी को कुछ नहीं बताया। 

2 महीने के बाद जब पीड़िता की तबीयत खराब होनी शुरू हुई तो उसके चाचा ने पीड़िता को अस्तपाल में दिखाया। डाॅक्टर ने उसे एनिमिक बताया परंतु कुछ महीनों के बाद उसके पेट में सूजन आने लगी, जिससे उसे संदेह हुआ कि उसके पेट में बच्चा हो सकता है। उसने दोषी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। इसके पश्चात मई 2016 में पीड़िता ने अस्पताल में एक बच्चे को जन्म भी दिया। फोरैंसिक प्रयोगशाला की रिपोर्ट में दोषी ही बच्चे का पिता पाया गया। 

मामले की जांच पूरी होने के बाद अभियोजन पक्ष ने विशेष न्यायाधीश सिरमौर की अदालत में चालान पेश किया। अभियोजन पक्ष ने दोष साबित करने के लिए 15 गवाह पेश किए। अदालत ने आरोपी को दुष्कर्म के जुर्म का दोषी ठहराया और उपरोक्त सजा सुनाई। इस निर्णय को दोषी ने हाईकोर्ट के समक्ष अपील के माध्यम से चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने मामले से जुड़े तमाम रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद पाया कि अभियोजन पक्ष पूरे तरीके से दोषी के खिलाफ अभियोग साबित करने में सफल रहा है।

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