Edited By Jyoti M, Updated: 14 Sep, 2025 09:52 AM

हिमाचल प्रदेश के जिला चंबा में भारी बारिश और भूस्खलन ने भटियात विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाली दो पंचायतों में भारी तबाही मचाई है। चिलामा और घटासनी पंचायतों में शुक्रवार देर रात लगभग 2 बजे हुई इस घटना में चार मकान और दो पशुशालाएं पूरी तरह से ध्वस्त...
हिमाचल डेस्क। हिमाचल प्रदेश के जिला चंबा में भारी बारिश और भूस्खलन ने भटियात विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाली दो पंचायतों में भारी तबाही मचाई है। चिलामा और घटासनी पंचायतों में शुक्रवार देर रात लगभग 2 बजे हुई इस घटना में चार मकान और दो पशुशालाएं पूरी तरह से ध्वस्त हो गईं। भूस्खलन से एक पशुशाला में मौजूद पांच मवेशी भी मलबे में दबकर मर गए, जबकि तीन अन्य घरों में मलबा घुसने से उन्हें भी भारी नुकसान पहुंचा है।
चिलामा पंचायत के कुमलाड़ी गांव में पुस्कर थापा का मकान पूरी तरह से ढह गया, जिसमें तीन कमरे, किचन शेड, बाथरूम और शौचालय शामिल थे। इसके अलावा, तीन अन्य मकानों में मलबा भर जाने से उनमें दरारें आ गई हैं। इन सभी मकानों में रहने वाले परिवार खतरे को भांपते हुए पहले ही अपने रिश्तेदारों के यहां सुरक्षित चले गए थे, जिससे कोई जनहानि नहीं हुई।
घटासनी पंचायत के ऊपरी मामला गांव में धर्मचंद का दो मंजिला मकान भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। इसी गांव में जैसी राम और राजीव कुमार की पशुशालाएं भी मलबे की चपेट में आने से गिर गईं। संजय कुमार की पशुशाला में एक भैंस, दो गाय, एक बकरा और एक बछड़ी मलबे में दबकर मर गए। इसके अलावा, मदन लाल के घर के अंदर भी मलबा घुस गया, जिससे उन्हें काफी नुकसान हुआ। निचला मामला गांव में मनोहर लाल का पूरा मकान मलबे में बह गया, जिससे उन्हें भारी क्षति हुई है।
भूस्खलन के कारण ऊपरी और निचला मामला गांवों पर खतरा मंडरा रहा है, जिससे यहां के करीब 25 मकानों में रहने वाले परिवारों को उनके रिश्तेदारों या अन्य सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। प्रभावित परिवारों ने सरकार और प्रशासन से उनके गांवों को सुरक्षित बनाने की मांग की है।
भटियात के एसडीएम पारस अग्रवाल ने बताया कि भारी वर्षा से हुए नुकसान का आकलन किया जा रहा है और जल्द ही प्रभावित परिवारों को मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट कर दिया गया है और प्रशासन की तरफ से उन्हें तात्कालिक राहत के तौर पर दो-दो हजार रुपये की राशि दी गई है। यह घटना दर्शाती है कि पहाड़ी क्षेत्रों में मानसून के दौरान प्राकृतिक आपदाएं कितनी खतरनाक हो सकती हैं, और सुरक्षा उपायों की आवश्यकता पर जोर देती है।