Edited By Vijay, Updated: 26 Dec, 2025 06:12 PM

आईजीएमसी शिमला में मरीज और डॉक्टर के बीच हुए विवाद के बाद डाॅ. राघव नरूला के खिलाफ की गई कार्रवाई के विरोध में पांवटा साहिब में शुक्रवार को आक्रोश देखने को मिला। बर्खास्त किए गए डॉक्टर पांवटा साहिब के ही रहने वाले हैं।
पांवटा साहिब (कपिल): आईजीएमसी शिमला में मरीज और डॉक्टर के बीच हुए विवाद के बाद डाॅ. राघव नरूला के खिलाफ की गई कार्रवाई के विरोध में पांवटा साहिब में शुक्रवार को आक्रोश देखने को मिला। बर्खास्त किए गए डॉक्टर पांवटा साहिब के ही रहने वाले हैं। लिहाजा इस मामले के विरोध स्वरूप स्थानीय लोगों, पंजाबी बिरादरी एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों ने दोपहर तक पांवटा साहिब बाजार बंद रखा। इस दौरान रोष रैली का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय लोग, सामाजिक कार्यकर्त्ता, व्यापारी वर्ग और राजनीतिक प्रतिनिधि शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर निष्पक्ष जांच की मांग की।
एसडीएम कार्यालय पहुंचने पर विधायक सुखराम चौधरी के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में डाॅ. राघव के खिलाफ की गई कार्रवाई को जल्दबाजी और एकतरफा बताते हुए उसे तत्काल वापस लेने की मांग की गई। विधायक ने कहा कि सरकार ने 24 घंटे के भीतर डॉक्टर के खिलाफ कठोर कार्रवाई कर दी, जबकि मामले में दोनों पक्षों की भूमिका की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए थी। उन्होंने मांग की कि डाॅ. राघव की सेवाएं तत्काल बहाल की जाएं और मामले की दोबारा निष्पक्ष जांच करवाई जाए। विधायक ने यह भी कहा कि केवल वायरल वीडियो के आधार पर इस प्रकार की जल्दबाजी में कार्रवाई करना न्यायसंगत नहीं है।
कांग्रेस नेता अवनीत लांबा ने कहा कि डॉक्टर पर आरोप लगाने वाला व्यक्ति आपराधिक पृष्ठभूमि से जुड़ा हुआ है, जिस पर पहले से केस दर्ज हैं। ऐसे व्यक्ति की शिकायत के आधार पर डॉक्टर के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करना दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे चिकित्सक समुदाय में रोष है। प्रदर्शन के दौरान सतीश गोयल, गुरविंदर गोपी, शिवानी वर्मा और रोहतांश नागिया सहित सामाजिक एवं राजनीतिक प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार रखे और सरकार से निष्पक्ष एवं पारदर्शी जांच की मांग की। इस दौरान डाॅ. राघव के माता-पिता भी मौजूद रहे, जिनकी आंखों में अपने बेटे के साथ हुए कथित अन्याय को लेकर पीड़ा साफ झलक रही थी।
एसडीएम पांवटा साहिब गुंजीत सिंह चीमा ने कहा कि यह पूरा मामला जांच के दायरे में है और इस पर फिलहाल अधिक टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। पंजाबी बिरादरी एवं अन्य संगठनों द्वारा सौंपा गया ज्ञापन डीसी के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा जाएगा, ताकि सरकार इस मामले पर गंभीरता से विचार कर सके।