हिमाचल प्रदेश वाटर सैस विधेयक-2023 के विरोध में हाईकोर्ट में याचिका दायर

Edited By Vijay, Updated: 28 Mar, 2023 11:08 PM

petition filed in highcourt against hp water cess bill 2023

हिमाचल प्रदेश वाटर सैस विधेयक-2023 के विरोध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने राज्य सरकार सहित केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। प्रतिवादियों को 25 अप्रैल तक याचिका का जवाब...

केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी, 25 अप्रैल तक जवाब मांगा
शिमला (मनोहर):
हिमाचल प्रदेश वाटर सैस विधेयक-2023 के विरोध में हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने राज्य सरकार सहित केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। प्रतिवादियों को 25 अप्रैल तक याचिका का जवाब दाखिल करने के आदेश जारी किए गए हैं। हिमाचल प्रदेश वाटर सैस विधेयक और इसके नियम 2023 और राज्य सरकार की 16 फ रवरी को जारी अधिसूचना को जीएमआर बजोली होली पनबिजली परियोजना ने याचिका दायर कर चुनौती दी है। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार राज्य सरकार ने वर्ष 2006 में पनबिजली परियोजना को बढ़ावा देने के लिए निजी कंपनियों से निविदाएं आमंत्रित की थीं। इसके तहत परियोजना को बनाना, चालू करना और उसके बाद हस्तांतरण किया जाना शामिल था। 

22 जून, 2006 को सरकार ने कंपनी को चम्बा के बजोली होली में 180 मैगावाट का प्रोजैक्ट आबंटित किया था। उसके बाद कंपनी ने परियोजना की कुल लागत की 50 फीसदी 82.06 करोड़ रुपए की अपफ्रंट राशि राज्य सरकार के पास जमा करवाई। 29 मार्च, 2011 को कंपनी ने अपफ्रंट राशि के तौर पर दोबारा 41.3 करोड़ रुपए जमा करवाए। उसके बाद 15 फरवरी, 2023 को राज्यपाल ने वाटर सैस अध्यादेश पारित किया। अगले ही दिन सरकार ने वाटर सैस के बारे में अधिसूचना जारी कर दी। 

याचिका में दलील दी गई कि 24 फरवरी, 2023 को पनबिजली परियोजना एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को प्रतिवेदन किया था लेकिन सरकार ने हिमाचल प्रदेश वाटर सैस विधेयक-2023 पारित कर दिया। आरोप लगाया गया है कि पनबिजली परियोजना पर वाटर सैस लगाया जाना संविधान के प्रावधानों के विपरीत है। आर्थिक तंगी से जूझ रही हिमाचल सरकार ने राजस्व बढ़ाने के लिए पनबिजली उत्पादन पर वाटर सैस लागू कर दिया है। पड़ोसी राज्य उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर राजस्व जुटाने के लिए प्रदेश सरकार ने बिजली उत्पादन पर वाटर सैस लगाने का फैसला लिया है। प्रदेश में छोटी-बड़ी करीब 175 पनबिजली परियोजनाओं पर वाटर सैस से सरकार के खजाने में हर साल करीब 700 करोड़ रुपए जमा होंगे। मामले पर आगामी सुनवाई 25 अप्रैल को निर्धारित की गई है। 

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