Edited By Vijay, Updated: 11 Aug, 2023 11:14 PM

रैगिंग अभी भी कई शिक्षण संस्थानों में काले धंधे की तरह विद्यमान है। कभी-कभी किसी विद्यार्थी व प्रशिक्षु के लिए रैगिंग की मानसिक प्रताड़ना जानलेवा साबित हो जाती है। ऐसा ही एक मामला बिलासपुर के एक नर्सिग स्कूल में देखने को मिला...
बिलासपुर (संतोष): रैगिंग अभी भी कई शिक्षण संस्थानों में काले धंधे की तरह विद्यमान है। कभी-कभी किसी विद्यार्थी व प्रशिक्षु के लिए रैगिंग की मानसिक प्रताड़ना जानलेवा साबित हो जाती है। ऐसा ही एक मामला बिलासपुर के एक नर्सिग स्कूल में देखने को मिला, जहां अपनी सीनियर प्रशिक्षुओं द्वारा की जाने वाली रैगिंग की प्रताड़ना को जब नई प्रशिक्षु सहन नहीं कर पाई तो उसने एंटीबायोटिक की 11 गोलियां खाकर अपनी जान देने की कोशिश की। इस बारे समय रहते पता चल गया और यह प्रशिक्षु अब क्षेत्रीय अस्पताल बिलासपुर में उपचाराधीन है।
उक्त प्रशिक्षु झंडूता उपमंंडल के गांव दसलेहड़ा की निवासी है। अस्पताल में उपचाराधीन प्रशिक्षु ने अपने बयान भी दर्ज करवा दिए हैं, जिसमें उसने बताया है कि उसकी सीनियर प्रशिक्षुओं ने रैगिंग के नाम पर प्रताड़ित किया तथा इसी प्रताड़ना से तंग होकर उसने एंटाबायोटिक की 11 गोलियाें का सेवन कर लिया। डीएसपी मुख्यालय राज कुमार ने बताया कि इस संबंध में सदर पुलिस थाना में हिमाचल प्रदेश शिक्षण संस्थान रैगिंग विरोधी एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया है और मामले की जांच की जा रही है।
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