Edited By Vijay, Updated: 27 May, 2025 06:20 PM

हिमाचल प्रदेश के धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण चूड़धार वन्यजीव अभयारण्य में प्रवेश शुल्क को लेकर चल रहा विवाद आखिरकार थम गया है।
शिमला: हिमाचल प्रदेश के धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण चूड़धार वन्यजीव अभयारण्य में प्रवेश शुल्क को लेकर चल रहा विवाद आखिरकार थम गया है। हिमाचल प्रदेश वन विभाग के तहत वन्यजीव विंग के शिमला वन्यजीव मंडल ने श्रद्धालुओं, स्थानीय निवासियों और विभिन्न धार्मिक संगठनों की आपत्तियों को गंभीरता से लेते हुए बीते 2 अप्रैल को जारी प्रवेश शुल्क संबंधी अपने आदेश को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया है। यह निर्णय चूड़धार यात्रा पर आने वाले हजारों श्रद्धालुओं, विशेषकर पूज्य शिरगुल देवता के भक्तों के लिए एक बड़ी राहत बनकर आया है।

दरअसल, वन विभाग ने पर्यावरणीय संरक्षण और स्वच्छता व्यवस्था को बेहतर बनाने के उद्देश्य से अभयारण्य में जाने वाले आगंतुकों से शुल्क वसूली का प्रावधान किया था। हालांकि, इस कदम से स्थानीय समुदायों और श्रद्धालुओं में गहरा असंतोष फैल गया था, क्योंकि चूड़धार मंदिर जो अभयारण्य के भीतर स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, तक पहुंचने के लिए भी यह शुल्क देना पड़ रहा था। उत्तराखंड के जौनसार-बावर क्षेत्र से आने वाले हजारों श्रद्धालुओं के लिए, जिनके लिए चूड़धार पूज्य शिरगुल देवता का घर है, यह शुल्क उनकी आस्था पर कुठाराघात जैसा लग रहा था। हाल ही में उत्तराखंड के त्यूनी से चूड़धार यात्रा पर आए एक परिवार से 20 सदस्यों के लिए 1000 रुपए वसूले जाने के बाद तो आक्रोश और बढ़ गया था, जहां श्रद्धालुओं का स्पष्ट कहना था कि हम यहां पिकनिक मनाने नहीं आए हैं। हम अपने देवता के दर्शन के लिए आए हैं। हमें अपनी आस्था के लिए टैक्स क्यों देना चाहिए?
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए डिप्टी कंजरवेटर ऑफ फॉरैस्ट्स शिमला वन्यजीव मंडल की ओर से आज नया आदेश जारी किया गया है। इस आदेश में स्पष्ट किया गया है कि जब तक एक समग्र और पारदर्शी मॉडल तैयार नहीं हो जाता (जिसमें धार्मिक श्रद्धालुओं को छूट देने और अन्य आगंतुकों के लिए न्यायसंगत शुल्क निर्धारण सुनिश्चित किया जाएगा) तब तक पूर्व आदेश को स्थगित रखा जाएगा।
यह निर्णय चूड़धार क्षेत्र में धार्मिक भावनाओं, स्थानीय जनभावनाओं और पारिस्थितिकी के संतुलन को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। इस फैसले से उन सभी श्रद्धालुओं में खुशी की लहर दौड़ गई है जो अपनी आस्था के केंद्र चूड़धार मंदिर तक पहुंचने के लिए प्रवेश शुल्क देने को लेकर चिंतित थे। यह कदम वन विभाग और स्थानीय समुदायों के बीच एक सौहार्दपूर्ण संबंध स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है। अब श्रद्धालु बिना किसी आर्थिक बोझ के अपने आराध्य देव के दर्शन कर सकेंगे।
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