Mandi: अब NHAI की राह में बाधा नहीं बनेगी 9 मील की पहाड़ी, 300 मीटर लंबे वायर डक्ट ब्रिज का होगा निर्माण

Edited By Vijay, Updated: 14 May, 2025 02:59 PM

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कीतरपुर-मनाली फोरलेन पर मंडी से पंडोह के बीच 9 मील की पहाड़ी एनएचएआई के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है, लेकिन अब इस परेशानी से एनएचएआई ने पार पाने का समाधान ढूंढ निकाला है।

पंडोह (विशाल): कीतरपुर-मनाली फोरलेन पर मंडी से पंडोह के बीच 9 मील की पहाड़ी एनएचएआई के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है, लेकिन अब इस परेशानी से एनएचएआई ने पार पाने का समाधान ढूंढ निकाला है। एनएचएआई यहां पर 300 मीटर लंबा वायर डक्ट ब्रिज बनाने की योजना पर काम कर रही है। इसका प्रस्ताव केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को भेज दिया गया है। इस पर लगभग 125 करोड़ की लागत आने का अनुमान है। 

पहाड़ी के दरकने का सिलसिला लगातार जारी
बता दें कि 9 मील के पास पहाड़ी के दरकने का सिलसिला लगातार जारी है। बीती बरसात में भी 9 मील की स्लाइडिंग ने एनएचएआई और प्रशासन की खूब कसरत करवाई थी। यहां बार-बार स्लाइडिंग होने के कारण हाईवे कई बार बाधित रहा। कई बार तो वाहन भी इसकी चपेट में आए और लोगों ने मुश्किल से अपनी जानें बचाई। यहां मौजूदा स्थिति यह है कि पहाड़ी के साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। यदि पहाड़ी के साथ छेड़छाड़ की जाती है तो फिर यहां से और ज्यादा मलबा गिरने की संभावना है, जिसे फिर बाद में कंट्रोल कर पाना संभव नहीं होगा। वहीं, दूसरी तरफ देखें तो ब्यास नदी की तरफ जाने वाली गहरी खाई है। इसलिए यहां मौजूदा टू लेन सड़क काे चौड़ा कर पाना ही संभव नहीं हो पा रहा तो फोरलेन कैसे बनाया जा सकता था।

जिओ टैगिंग से किया सर्वे 
एनएचएआई ने इस स्थिति को देखते हुए यहां जिओ टैगिंग से सर्वे किया और उसकी रिपोर्ट के आधार पर यहां 300 मीटर लंबे वायर डक्ट ब्रिज बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया। एनएचएआई के प्रोजैक्ट डायरैक्टर वरुण चारी ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि वायर डक्ट ब्रिज का प्रस्ताव मंत्रालय को भेजा गया है। मंजूरी मिलने के बाद ही आगामी कार्रवाई अम्ल में लाई जाएगी। वायर डक्ट ब्रिज का प्रस्ताव यहां की मौजूदा स्थितियों को ध्यान में रखकर ही बनाया गया है।

जानिए क्या होता है वायर डक्ट ब्रिज
वायर डक्ट ब्रिज एक तरह का फ्लाईओवर ही होता है। इसकी आकृति फ्लाईओवर की तरह ही होती है, लेकिन फ्लाईओवर हमेशा ही किसी मौजूदा सड़क या रेल मार्ग के उपर बनाया जाता है। उससे मौजूदा सड़क भी प्रभावित नहीं होती और उसके ऊपर एक अन्य सड़क का निर्माण भी हो जाता है। इसी तरह से वायर डक्ट ब्रिज भी बनाया जाता है, लेकिन इसमें फर्क सिर्फ यही होता है कि इसे किसी मौजूदा सड़क पर नहीं बनाया जाता बल्कि ऐसे स्थान पर बनाया जाता है जहां पर सड़क निर्माण के लिए कोई और विकल्प नहीं होता और वहां काफी बड़ी-बड़ी सपोर्ट की जरूरत होती है। इसलिए हम वायर डक्ट ब्रिज को फ्लाईओवर भी कह सकते हैं।
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