Edited By prashant sharma, Updated: 26 Nov, 2020 07:23 PM
विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने धौलाधार के आंचल में बसी पर्यटन नगरी धर्मशाला के तपोवन स्थित विधानसभा परिसर में राष्ट्रीय ई-विधान अकादमी गठित करने की मांग की है।
शिमला (ब्यूरो) : विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने धौलाधार के आंचल में बसी पर्यटन नगरी धर्मशाला के तपोवन स्थित विधानसभा परिसर में राष्ट्रीय ई-विधान अकादमी गठित करने की मांग की है। उन्होंने यह मांग गुजरात के केवडिय़ा में आयोजित 2 दिवसीय 80वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में की। यह सम्मेलन विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के मध्य सामंजस्यपूर्ण समन्वय-जीवंत लोकतंत्र का आधार विषय पर आयोजित किया गया। उन्होंने कहा कि तपोवन में राष्ट्रीय ई-विधान अकादमी स्थापित करने के लिए उपयुक्त स्थान है, जहां पर सांसद, विधायक व अधिकारी प्रशिक्षण प्राप्त कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका लोकतंत्र के 3 विशिष्ट अंग हैं और इनमें परस्पर सामंजस्य होना जरूरी है।
तीनों अंगों के मध्य टकराव की स्थिति में लोकतांत्रिक व्यवस्था को नुक्सान पहुंच सकता है। हिमाचल प्रदेश ई-विधानसभा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यहां पर 4 अगस्त, 2014 से पेपरलैस तकनीक से कार्य हो रहा है। इसके तहत सत्र के दौरान कागज का इस्तेमाल वर्जित है। इस तकनीक के तहत सदस्यों के लिए टच स्क्रीन ई-बुक, टाइम मैनेजमैंट एप, डिस्प्ले वॉल पैनल्ज तथा ई-वोटिंग व ई-नोट्स की व्यवस्था की गई है। इसी तरह सदन की समितियों का कार्य भी कागज रहित किया गया है तथा मीटिंग का एजैंडा व संबंधित विभागों के उत्तर भी ऑनलाइन हासिल किए जा रहे हैं। ई-निर्वाचन क्षेत्र प्रबंधन के लागू होने से विधायक और अधिकारी जनता से सीधा संवाद कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त सदन में किसी भी विषय पर सार्थक चर्चा करने के लिए नॉलेज बैंक एवं रेफरैंसिंज की व्यवस्था की गई है। सदस्यों के लिए उच्च तकनीक युक्त प्रशिक्षण कक्ष और ई-सुविधा केंद्र की व्यवस्था की गई है। सम्मेलन में विधानसभा अध्यक्ष हंसराज ने भी भाग लिया।
शीतकालीन सत्र को लेकर सर्वदलीय बैठक आज
विधानसभा के शीतकालीन सत्र को लेकर सर्वदलीय बैठक का आयोजन शुक्रवार को किया जाएगा। विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में कोरोना संक्रमण के कारण उपजे हालात को देखते हुए धर्मशाला के तपोवन में प्रस्तावित शीतकालीन सत्र को टाला भी जा सकता है।