हिमाचल के सरकारी अस्पतालों में 213.75 करोड़ का बड़ा निवेश, बदली जाएंगी वर्षों पुरानी जांच मशीनें

Edited By Vijay, Updated: 02 Nov, 2025 10:45 PM

massive investment of rs 213 75 crore in himachal s government hospitals

हिमाचल में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं यकीनी बनाने के लिए वर्षों पुराने सिस्टम को बदलने में जुटे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक बड़ा कदम उठाया है।

शिमला (सौरभ कुमार): हिमाचल में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं यकीनी बनाने के लिए वर्षों पुराने सिस्टम को बदलने में जुटे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक बड़ा कदम उठाया है। राज्य के सरकारी अस्पतालों में डायग्नोस्टिक (जांच) सुविधाओं को मजबूत करने के लिए उनकी सरकार 213.75 करोड़ रुपए का भारी-भरकम निवेश कर रही है। सरकार का लक्ष्य है कि सभी मेडिकल कॉलेजों व बड़े अस्पतालों में चरणबद्ध तरीके से अत्याधुनिक जांच उपकरण लगाकर मरीजों की बीमारियों का समय पर और सटीक पता लगाया जा सके, जिससे उनका इलाज तुरंत शुरू हो सके। ​स्वास्थ्य विभाग ने मुख्यमंत्री सुक्खू के निर्देश पर यह व्यापक कार्ययोजना तैयार की है। योजना के तहत सभी मेडिकल कॉलेजों और बड़े अस्पतालों में मॉडर्न डायग्नोस्टिक मशीनें लगाई जाएंगी। लगभग 6 माह से डेढ़ साल के भीतर सभी बड़े अस्पतालों में बरसों पुरानी लगी जांच मशीनों की जगह नई मशीनें स्थापित कर दी जाएंगी।

कहां-कितनी मशीनें लगेंगी, जानें निवेश का ब्यौरा
​इस बड़ी योजना के तहत सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में निम्नलिखित मुख्य उपकरण लगाए जा रहे हैं :

​एमआरआई मशीनें: 5 हाई-रिजोल्यूशन एमआरआई मशीनें 95 करोड़ रुपए की लागत से खरीदी जा रही हैं। ये मशीनें आईजीएमसी शिमला, टांडा, चमियाना अस्पताल, नेरचौक, नाहन और चम्बा मेडिकल कॉलेज में लगेंगी।
​सीटी इमेजिंग मशीनें: 7 मेडिकल कॉलेजों में दो-दो उन्नत सीटी स्कैन मशीनें लगाई जाएंगी, जिस पर 28 करोड़ खर्च होंगे।
डिजिटल रेडियोग्राफी यूनिट: 8.75 करोड़ से 35 डिजिटल रेडियोग्राफी यूनिट (हर मेडिकल कॉलेज में 5) और 14 करोड़ से 14 सीलिंग-सस्पैंडेड डीआर एक्स-रे मशीनें स्थापित की जाएंगी। इन आधुनिक मशीनों से आम लोगों की त्वरित व सटीक जांच सुनिश्चित होगी।
अल्ट्रासाऊंड और मैमोग्राफी: 7 मेडिकल कॉलेजों में 14-14 करोड़ रुपए की लागत से उन्नत अल्ट्रासाऊंड इमेजिंग मशीनें और 7 डिजिटल मैमोग्राफी यूनिट लगाई जा रही हैं।
​आधुनिक टैक्नोलॉजी: 40 करोड़ रुपए की लागत से 8 इमेजिंग आर्काइव और रिट्रीवल टैक्नोलॉजी सिस्टम 7 मेडिकल कॉलेजों और कमला नेहरू अस्पताल शिमला में लगाए जाएंगे।

आम जनता को बड़ा फायदा, निजी अस्पतालों में जेब ढीली करने से मिलेगी मुक्ति
​मुख्यमंत्री सुक्खु खुद पेट की बीमारी से जूझ चुके हैं व अपनी सर्जरी करवाई थी, ऐसे में उन्हें बीमारी से जूझते लोगों के दुख-दर्द का भली-भांति पता है। ऐसे में प्रदेश के लोगों को राज्य में ही बेहतर और हाई-क्वालिटी स्वास्थ्य सुविधा देना मुख्यमंत्री की सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक है। सरकार का सीधा मकसद है कि बीमारी की जांच में होने वाली देरी को खत्म करना, जिससे मरीज की हालत गंभीर न हो। मरीजों को महंगे टैस्ट या इलाज के लिए चंडीगढ़, दिल्ली या अन्य राज्यों में नहीं जाना पड़ेगा, जिससे उनका लाखों रुपए का खर्च बचेगा।

​सरकारी अस्पतालों में बेहतर इलाज में मिलेगी मदद
मेडिकल कॉलेजों व बड़े अस्पतालों यानी जोनल व रीजनल में उन्नत डायग्नोस्टिक सुविधाएं मिलने से डॉक्टरों को सही और त्वरित इलाज शुरू करने में मदद मिलेगी। ​मुख्यमंत्री सुक्खू के विजन के तहत केवल मशीनें लगाना ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के अन्य पहलुओं को भी मजबूत किया जा रहा है। डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ और तकनीशियनों के खाली पदों को भरा जा रहा है और कर्मचारियों को आधुनिक मशीनों के संचालन के लिए स्पैशल ट्रेनिंग भी दी जा रही है।

इन बीमारियों के इलाज में मदद
ये अत्याधुनिक जांच उपकरण खासकर उन बीमारियों के शुरूआती और सटीक पता लगाने में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे, जिनके लिए पहले मरीजों को राज्य से बाहर बड़े शहरों में जाना पड़ता था।

​1. कैंसर
​डिजिटल मैमोग्राफी: यह सुविधा स्तन कैंसर के शुरूआती चरण में पता लगाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिससे उपचार सफल होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
​उच्च-रिजोल्यूशन सीटी और एमआरआई: शरीर के किसी भी हिस्से में ट्यूमर की सटीक लोकेशन, साइज और फैलाव का पता लगाने के लिए जरूरी है।
​इमेजिंग आर्काइव सिस्टम: कैंसर के इलाज के दौरान कीमोथैरेपी या रेडिएशन ट्यूमर के रिस्पॉन्स को ट्रैक करने और पिछली रिपोर्ट को तुरंत एक्सेस करने में मदद करेगा।

​2. ब्रेन और स्पाइनल कॉर्ड के विकार
एमआरआई (सबसे महत्वपूर्ण): यह टैस्ट दिमाग व स्पाइनल कॉर्ड के सॉफ्ट टिश्यू (कोमल ऊतक) की डिटेल इमेजिंग के लिए गोल्ड स्टैंडर्ड है। यह स्ट्रोक, मल्टीपल स्केलेरोसिस, ब्रेन ट्यूमर, स्पाइनल कॉर्ड की चोटों और क्रोनिक सिरदर्द के कारणों का पता लगाने में मदद करेगा।
​उन्नत सीटी: इमरजैंसी में हैड इंजरी और ब्रेन हेमरेज (रक्तस्राव) का पता लगाने के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह एमआरआई से तेज होता है।

​3. गंभीर चोटें और ट्रॉमा
​ उन्नत सीटी व डीआर: सड़क दुर्घटनाओं या गिरने से लगी गंभीर चोटों के तुरंत बाद आंतरिक रक्तस्राव, फ्रैक्चर, और मल्टीपल ऑर्गन डैमेज का तुरंत पता लगाने के लिए ये मशीनें बेहद जरूरी हैं। चमियाना अस्पताल, आईजीएमसी शिमला व टांडा जैसे ट्रॉमा सैंटरों में यह जीवन रक्षक साबित होंगी।

​4. हृदय रोग और रक्तवाहिकाओं की समस्याएं
​सीटी एंजियोग्राफी: यह हृदय और फेफड़ों की रक्त वाहिकाओं में ब्लॉकेज या समस्याओं का नॉन-इनवेसिव तरीके से पता लगा सकती है।

​5. पेट और पाचन तंत्र के विकार
​अल्ट्रासाऊंड और सीटी: किडनी स्टोन, पित्ताशय की थैली की समस्याएं, लीवर की बीमारियां और अपेंडिसाइटिस जैसे तीव्र पेट दर्द के कारणों की जांच के लिए ये मशीनें आवश्यक हैं। लिवर, अग्न्याशय और पित्त नलिकाओं की डिटेल इमेजिंग प्रदान करता है।

हिमाचल के लोगों को मिलेगा बेहतर इलाज
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि मेरा लक्ष्य साफ है कि हिमाचल के लोगों को अब महंगे इलाज के लिए राज्य से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। 213.75 करोड़ का यह निवेश केवल मशीनें नहीं हैं, बल्कि यह हमारे प्रदेशवासियों के लिए समय पर और सटीक स्वास्थ्य निदान की गारंटी है। हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि हर हिमाचली को उसके घर के करीब, उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं मिलें।

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