मणिमहेश यात्रा: अब हर श्रद्धालु की होगी जांच...800 से ज्यादा जवान तैनात, इन बातों का रखना होगा ध्यान

Edited By Jyoti M, Updated: 11 Aug, 2025 11:58 AM

mani mahesh yatra now every devotee will be checked

उत्तर भारत की प्रसिद्ध और आस्था से भरपूर मणिमहेश यात्रा की तैयारियां अपने अंतिम चरण में हैं। इस वर्ष, 16 अगस्त को जन्माष्टमी के छोटे शाही स्नान से इस धार्मिक यात्रा का विधिवत शुभारंभ होगा और यह 31 अगस्त को राधाअष्टमी तक चलेगी। इस दौरान, लाखों की...

हिमाचल डेस्क। उत्तर भारत की प्रसिद्ध और आस्था से भरपूर मणिमहेश यात्रा की तैयारियां अपने अंतिम चरण में हैं। इस वर्ष, 16 अगस्त को जन्माष्टमी के छोटे शाही स्नान से इस धार्मिक यात्रा का विधिवत शुभारंभ होगा और यह 31 अगस्त को राधाअष्टमी तक चलेगी। इस दौरान, लाखों की संख्या में श्रद्धालु पवित्र मणिमहेश डल झील के दर्शन के लिए पहुंचेंगे। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा, स्वास्थ्य और सुख-सुविधाओं को सुनिश्चित करने के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं।

सुरक्षा का अभेद्य घेरा

इस वर्ष, मणिमहेश यात्रा की सुरक्षा का जिम्मा 800 से अधिक पुलिस और होमगार्ड के जवानों को सौंपा गया है। यात्रा मार्ग पर चप्पे-चप्पे पर खाकी का पहरा रहेगा। यात्रा के शुरू होने से दो दिन पहले ही, प्रदेश भर से पुलिस की विभिन्न बटालियनों के जवान अपने-अपने निर्धारित स्थानों पर तैनात हो जाएंगे। जन्माष्टमी के पर्व के नज़दीक आते ही श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए, विभिन्न पड़ावों पर सुरक्षा कर्मियों की तैनाती बढ़ा दी गई है।

जिला मुख्यालय चंबा से लेकर मणिमहेश डल झील तक के पूरे मार्ग को 13 सेक्टरों में विभाजित किया गया है। इनमें करियां, धरवाला, खड़ामुख, लूणा से सावनपुर, सावनपुर से पट्टीनाला, पुराना बस स्टैंड से भरमाणी, चौरासी, हेलीपैड, बाड़ी और मलकोता, पट्टीनाला से सांधी, हडसर सेक्टर, कुगती ब्रिज, हड़सर से धनछो सेक्टर, सुंदरासी सेक्टर, गौरीकुंड सेक्टर और डल झील सेक्टर शामिल हैं।

छनछो से डल झील तक के सेक्टरों में चार-चार अधिकारी और कर्मचारी तैनात रहेंगे, जबकि अन्य सेक्टरों में तीन-तीन अधिकारी व कर्मचारियों के अलावा सुरक्षा जवान मुस्तैद रहेंगे। इसके अतिरिक्त, भरमौर और हड़सर में पुलिस ने अलग से कंट्रोल रूम भी स्थापित किए हैं, जिससे किसी भी आपातकालीन स्थिति में तुरंत सहायता पहुंचाई जा सके।

सीमाओं पर कड़ी चौकसी

मणिमहेश यात्रा पर देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं, जिनमें जम्मू-कश्मीर से आने वालों की संख्या भी काफी होती है। इसे देखते हुए, पुलिस ने जम्मू-कश्मीर और अन्य राज्यों से लगती सीमाओं पर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद कर दी है। भद्रवाह से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सलूणी के लंगेर क्षेत्र में एक विशेष चेकपोस्ट स्थापित की गई है। इसके अलावा, खैरी, तुनुहट्टी और लाहडू में भी श्रद्धालुओं को जांच के बाद ही प्रवेश दिया जा रहा है।

आपदा प्रबंधन की तैयारी

किसी भी अप्रिय स्थिति या आपदा से निपटने के लिए भी प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए हैं। आपदा प्रबंधन के लिए टोल फ्री नंबर 1077 और व्हाट्सएप नंबर 98166-98166 जारी किया गया है। अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण एवं संबंधित खेल संस्थान भरमौर के 60 जवान, एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) के 35 और एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) के 36 जवान यात्रा के दौरान किसी भी आपदा का सामना करने के लिए तैयार रहेंगे।

श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण दिशानिर्देश

प्रशासन ने श्रद्धालुओं से कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखने की अपील की है ताकि उनकी यात्रा सुखद और सुरक्षित रहे:

पहचान पत्र: सभी श्रद्धालु अपना पहचान पत्र साथ रखें।

स्वास्थ्य जांच: यात्रा पर निकलने से पहले अपनी स्वास्थ्य जांच अवश्य करवाएं।

स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें: डेढ़ माह से अधिक की गर्भवती महिलाओं, दमा या अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त व्यक्तियों को यात्रा से परहेज करना चाहिए।

नियमित मार्ग: प्रशासन द्वारा निर्धारित किए गए मार्ग पर ही यात्रा करें।

स्वास्थ्य शिविर: किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या के लिए नजदीकी स्वास्थ्य शिविर से संपर्क करें।

यात्रा का समय: बेस कैंप हड़सर से सुबह 4 बजे से पहले और शाम 5 बजे के बाद यात्रा शुरू न करें।

नशे से बचें: किसी भी प्रकार के नशे, शराब या मांसाहार का सेवन करके यात्रा न करें।

अधिकारियों का बयान

चंबा के पुलिस अधीक्षक अभिषेक यादव ने बताया, "मणिमहेश यात्रा के दौरान 800 से अधिक पुलिस और होमगार्ड के जवान तैनात रहेंगे। विभिन्न बटालियनों के जवान यात्रा शुरू होने से दो दिन पहले ही अपनी ड्यूटी पर पहुंच जाएंगे।"

एडीएम भरमौर, कुलवीर सिंह राणा ने बताया, "यात्रा की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। पूरे क्षेत्र को 13 सेक्टरों में बांटा गया है। सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। किसी भी आपदा से निपटने के लिए पर्वतारोहण संस्थान, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें मौजूद रहेंगी।"

यह यात्रा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आस्था, समर्पण और दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक है। प्रशासन के इन पुख्ता इंतजामों से यह उम्मीद की जा सकती है कि लाखों श्रद्धालुओं की यह आध्यात्मिक यात्रा सुरक्षित और सफल रहेगी।

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