Edited By Kuldeep, Updated: 19 Jul, 2025 09:25 PM

छतरी के इलाके में सेब की फसल पूरी तरह से तैयार है। लोग इन्हें तैयार और मंडियों तक पहुंचाने की योजना बना रहे थे लेकिन आपदा आ गई। अब सड़कें बंद हैं।
मंडी (रजनीश): छतरी के इलाके में सेब की फसल पूरी तरह से तैयार है। लोग इन्हें तैयार और मंडियों तक पहुंचाने की योजना बना रहे थे लेकिन आपदा आ गई। अब सड़कें बंद हैं। प्रशासन का फोकस अभी मुख्य सड़कों की बहाली पर ही है जबकि एक-एक लिंक रोड जब तक सही नहीं होंगे तब तक लोगों के सेब मंडियों तक नहीं पहुंच पाएंगे। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने शनिवार को सराज विधानसभा क्षेत्र के आपदा ग्रस्त छतरी के इलाकों का दौरा कर प्रभावितों से मिलने के बाद कहा कि छतरी में भी आपदा के कारण उपजाऊ भूमि, सड़क मार्ग और मकानों को बहुत क्षति पहुंची है। विशेष रूप से छतरी के मांझीगाड, बिलागाड, भलाती और ठेंसर गांवों में बेहद नुक्सान हुआ है। उन्होंने कहा कि आपदा ने लोगों को पहले ही उजाड़ दिया है।
ऐसे में इतनी लागत के बाद पैदा हुआ सेब अगर बाजार तक नहीं पहुंचा तो बागवानों की हालत बहुत खराब हो जाएगी। इसलिए मेरा सरकार से निवेदन है कि सड़कों की बहाली का काम युद्ध स्तर पर चलाए जाए। जयराम ठाकुर ने कहा कि इस आपदा ने हमें जो नुक्सान पहुंचाया है उसकी भरपाई इतनी आसान नहीं है। 30 जून की त्रासदी ने हमें 30 साल पीछे धकेल दिया है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आज से 30 साल पहले जब हम यहां आए थे तो नदी-नालों पर पुल नहीं थे तो हमें डिफी (लकड़ी के अस्थायी पुल) के जरिए आना–जाना पड़ता था।
30 साल जान से इस इलाके को संवारा और आज फिर से जब मैं यहां पहुंचा हूं तो पुल बह गए हैं। हमें आज 30 साल बाद फिर से डिफी के जरिए ही यहां आना पड़ा। इस त्रासदी से जो नुक्सान हुआ है अभी उसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है इसकी भरपाई तो बहुत दूर की बात है। जयराम ठाकुर ने आपदा प्रभावित परिवारों से मिलकर उन्हें राहत सामग्री बांटी और आगे भी हर संभव मदद करने का भरोसा भी दिलाया। उन्होंने कहा कि दो घर पूर्णतया समाप्त हो गए हैं। सैंकड़ों घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। इन सब के बाद भी इस बात की खुशी है कि यहां पर लोगों की जिंदगियां बच गईं हैं।