Edited By Jyoti M, Updated: 15 May, 2025 10:50 AM

एन.टी.पी.सी. कोल डैम परियोजना के तहत खंगड़ गांव में बुधवार शाम को एक गंभीर हादसा टल गया, जब सतलुज नदी में खेलते समय तीन बच्चों में से दो अचानक जलस्तर बढ़ने से नदी के बीच टापू पर फंस गए। सूचना मिलने पर एन.टी.पी.सी. की समय रहते दिखाई गई सूझबूझ और...
सुंदरनगर, (सोढी): एन.टी.पी.सी. कोल डैम परियोजना के तहत खंगड़ गांव में बुधवार शाम को एक गंभीर हादसा टल गया, जब सतलुज नदी में खेलते समय तीन बच्चों में से दो अचानक जलस्तर बढ़ने से नदी के बीच टापू पर फंस गए। सूचना मिलने पर एन.टी.पी.सी. की समय रहते दिखाई गई सूझबूझ और तत्परता से दोनों बच्चों की जान बचाई जा सकी। इस मानवीय कदम के चलते एन.टी.पी.सी. को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा, लेकिन कंपनी ने मानव जीवन को प्राथमिकता देते हुए बिजली उत्पादन बंद करने में जरा भी देर नहीं की।
जानकारी देते हुए एनटीपीसी कोल डैम परियोजना की नैगम संचार कार्यपालक श्वेता गोयल ने बताया कि बुधवार शाम लगभग 5 बजे खंगड़ गांव के तीन बच्चे कृष चंदेल पुत्र मनीष चंदेल, अनुज पुत्र वीरेंद्र और एक लड़की सतलुज नदी के किनारे बने रेत के मैदान में खेल रहे थे। तभी अचानक सतलुज नदी का जलस्तर बढ़ने लगा। खतरे को भांपते हुए कृष और अनुज जान बचाने के लिए पास के एक टापू पर चढ़ गए, जबकि तीसरी बच्ची समय रहते सुरक्षित स्थान पर पहुंच गई। देखते ही देखते पानी का बहाव तेज हो गया और बच्चे टापू पर फंस गए।
बच्चों की चीख-पुकार सुनकर ग्रामीण मौके पर पहुंचे और वहीं निचली भटेड़ की वार्ड नंबर तीन की पंचायत सदस्य अंजना कुमारी को भी घटना का पता चला। उन्होंने बिना समय गंवाए एन.टी.पी.सी. के एच.ओ.पी. से संपर्क साधा। हालात की गंभीरता को देखते हुए एन.टी.पी.सी. प्रबंधन ने तुरंत सतलुज नदी में पानी के बहाव को नियंत्रित करने के लिए जलग्रहण गेट बंद करने का निर्णय लिया। जैसे ही जलस्तर कम हुआ गांव के ही राजेंद्र कुमार ने बहते पानी के बीच रस्सियों के सहारे बच्चों तक पहुंचकर उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला। तब तक बच्चे करीब दो घंटे यानी शाम 5 बजे से 7 बजे तक नदी में फंसे रहे थे। बच्चों की जान बचाने के लिए एन.टी.पी.सी. को अपने जलविद्युत संयंत्र का गेट बंद करना पड़ा, जिससे बिजली उत्पादन पूरी तरह बंद हो गया।
इसका सीधा असर बिजली आपूर्ति पर पड़ा और बिजली कटौती की नौबत आ गई। इस दौरान एन.टी.पी.सी. को करोड़ों रुपये की पेनल्टी और उत्पादन में नुकसान का सामना करना पड़ा। बावजूद इसके, कंपनी ने मानवता को प्राथमिकता दी और आर्थिक हानि की परवाह न करते हुए समय पर कदम उठाया। गांव के लोगों ने एन.टी.पी.सी.के इस साहसी और मानवीय कदम की सराहना की। विशेष रूप से एन.टी.पी.सी. प्रबंधन की भूमिका को सराहा गया। लोगों का कहना है कि यदि समय रहते पानी का बहाव नियंत्रित न किया जाता, तो बच्चों को जिंदा बचा पाना नामुमकिन होता।