पर्यटन और रोजगार का माध्यम बनी तत्तापानी की झील, जानिए कैसे (Watch Video)

Edited By Ekta, Updated: 16 Jan, 2019 02:25 PM

बड़ी परियोजनाओं के लिए जहां लोगों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ता है वहीं यह परियोजनाएं लोगों के रोजगार का माध्यम भी बनती है। आइए आपको बताते हैं कि कैसे कोलडैम परियोजना स्थानीय लोगों के रोजगार का माध्यम बन रही है और इसके कारण किस प्रकार से यहां के...

मंडी (नीरज): बड़ी परियोजनाओं के लिए जहां लोगों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ता है वहीं यह परियोजनाएं लोगों के रोजगार का माध्यम भी बनती है। आइए आपको बताते हैं कि कैसे कोलडैम परियोजना स्थानीय लोगों के रोजगार का माध्यम बन रही है और इसके कारण किस प्रकार से यहां के पर्यटन विकास को नए पंख लगते जा रहे हैं। मंडी और बिलासपुर जिलों की सीमाओं पर सतलुज नदी पर बनी 800 मेगावॉट की कोलडैम परियोजना ने कई लोगों को घर से बेघर कर दिया। सैकड़ों घर और हजारों बीघा उपजाऊ जमीन इस परियोजना की भेंट चढ़ गई। लेकिन आज इसी परियोजना के कारण यहां के पर्यटन को नए पंख भी लग रहे हैं और लोगों को रोजगार भी प्राप्त हो रहा है। कोलडैम परियोजना बनने के बाद सतलुज नदी पर कई किलोमीटर तक पानी का ठहराव हो गया जिस कारण नदी के कई स्थान झील में परिवर्तित हो गए। इन्हीं में से एक झील बनी मंडी जिला के अंतिम छोर पर बसे तत्तापानी के पास।
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स्थानीय लोग भी उठाते हैं झील में बोटिंग का मजा

तत्तापानी एक धार्मिक स्थल है जहां गर्म पानी के चश्मे हैं और यहां पर पवित्र स्नान के लिए हर वर्ष हजारों लोग आते हैं। इसके अलावा तत्तापानी में पर्यटन की संभावनाएं न के बराबर थी। लेकिन पानी ठहराव के कारण बनी झील ने यहां पर्यटन विकास की संभावनाओं को प्रवल कर दिया। आज तत्तापानी में बनी झील से वॉटर टूरिज्म डेवेल्प हुआ है। रोजाना सैकड़ों लोग तत्तापानी घूमने के लिए पहुंच रहे हैं। खासकर आसपास के इलाकों के लोग भी बड़ी संख्या में तत्तापानी घूमने के लिए आते हैं और यहां झील में चलने वाली नावों पर सवार होकर वॉटर टूरिज्म का आनंद उठाते हैं। लोगों ने बताया कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनके क्षेत्र में भी कभी नावें चलेंगी और उन्हें उसमें बैठकर घूमने का आनंद मिलेगा। 
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नावें खरीदकर स्वरोजगार की तरफ बढ़ाए कदम

स्थानीय लोगों के अनुसार सरकार को अब यहां पर और ज्यादा टूरिज्म डेवेल्प करना चाहिए ताकि बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचे और इस खूबसूरती को करीब से निहार सकें। वहीं वॉटर टूरिज्म स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का भी जरिया बना है। 50 के करीब लोगों ने यहां पर अपनी नावें खरीदकर रोजगार कमाना शुरू कर दिया है। लोग बड़ी संख्या में यहां आकर वॉटर टूरिज्म का लाभ उठाते हैं और इसी से इन लोगों की आमदन होती है। नाव चलाने वाले मोहन लाल ने बताया कि झील बनने से उन्होंने नाव खरीदकर लाई और आज इसी से उन्हें रोजगार प्राप्त हो रहा है। राज्य सरकार भी तत्तापानी को एक पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिए कृतसंकल्प नजर आ रही है। 
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एनटीपीसी और एसजेवीएनएल के साथ मिलकर करवाया जा रहा है विकास

सरकार एनटीपीसी और एसजेवीएनएल के साथ मिलकर यहां पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने जा रही है। करीब ढ़ाई करोड़ की लागत से बनने वाले घाट और तटों के सौंदर्यीकरण कार्य का यहां शिलान्यास हो चुका है। कोलडैम के महाप्रबंधक एसएम चौधरी ने बताया कि सरकार के साथ मिलकर तत्तापानी के पर्यटन विकास पर पूरा सहयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि चरणबद्ध तरीके से भविष्य में तत्तापानी को एक कंपलीट टूरिस्ट डेस्टीनेशन के रूप में विकसित किया जाएगा। बता दें कि तत्तापानी मंडी और शिमला जिले की सीमाओं पर बसा है। यहां से शिमला की दूरी मात्र 50 किलोमीटर है। ऐसे में शिमला पहुंचने वाले पर्यटकों को यहां तक आसानी से पहुंचाया जा सकता है। इससे तत्तापानी का धार्मिक महत्व भी लोगों को पता चलेगा और वह यहां के पर्यटन का भी आनंद उठा सकेंगे।
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