मलाणा क्रीम के फेर में धोखा खा रहे जौहरी तस्कर

Edited By Kuldeep, Updated: 29 May, 2018 12:31 AM

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मलाणा क्रीम के फेर में नशा कारोबार के बड़े-बड़े जौहरी भी धोखा खा रहे हैं। मलाणा क्रीम को पाने के चक्कर में बड़े-बड़े चरस तस्कर इसे पहचानने में असमर्थ होते हैं जिसका लाभ खेप बेचने वाले धोखेबाज उठा रहे हैं।

कुल्लू : मलाणा क्रीम के फेर में नशा कारोबार के बड़े-बड़े जौहरी भी धोखा खा रहे हैं। मलाणा क्रीम को पाने के चक्कर में बड़े-बड़े चरस तस्कर इसे पहचानने में असमर्थ होते हैं जिसका लाभ खेप बेचने वाले धोखेबाज उठा रहे हैं। सामान्य चरस आश्विन, काॢतक माह अर्थात सितम्बर व नवम्बर में भांग के पौधों के तैयार होने पर हाथों द्वारा मसलन विधि से निकाली जाती है। इसमें तैयार भांग के पौधे को हाथों द्वारा एक निश्चित समय तक मसला जाता है। इसमें ध्यान यह देना होता है कि तापमान 15 डिग्री सैल्सियस से अधिक रहे और धूप खिली हो। एक निश्चित समय के बाद हाथों से चरस प्लास्टिक के लिफाफे पर निकाली जाती है, उसके बाद उस लिफाफे को बंद कर हाथों से जोर जोर से दबाकर एकत्रित किया जाता है। एक समय में एक व्यक्ति सामान्यत: 5 से 10 ग्राम चरस निकालता है जबकि मलाणा क्रीम तैयार करने में भांग के पौधे के पत्ते निकाल लिए जाते हैं तथा भांग के बीज (भंगोलू) के बाहर का तैयार भाग बहुत ही सावधानी तथा आराम से मसला जाता है। इसमें सबसे अधिक ध्यान यह दिया जाता है कि उस स्थान का तापमान न गिरे जिससे हाथ ठंडे हो जाएं और हाथ में लगी चरस सख्त होने लगे इसलिए मलाणा क्रीम तैयार करते समय माफिया तंदूर या हीटर आदि की व्यवस्था से एक निश्चित तापमान मैंटेन रखते हैं। इस बहुत ही जटिल व समय खपाऊ प्रक्रिया से मलाणा क्रीम एक समय में बहुत कम मात्रा में परंतु उत्तम रूप में तैयार होती है।


ऐसे हो रही गड़बड़ी
सामान्य चरस को माफिया विभिन्न प्रकार के तेलों तथा विभिन्न प्रकार की मसलने की गलत विधियों से तैयार कर कुछ समय के लिए नरम दिखाने के चक्कर में प्लास्टिक में वायु बंद करके रखते हैं। इससे बड़े से बड़ा नशा कारोबार का जौहरी भी धोखा खा जाता है और बहुत ही घटिया चरस खरीदकर जब आगे बेचने के लिए जाता है तब तक तापमान में गिरावट या अधिकता के चलते यह चरस अपने असली रूप में दिखती है और उसे धोखा मिलता है।


लाखों की जाली करंसी का मामला भी पकड़ा
कुछ दिन पहले मलाणा से जुड़ा करीब 5 लाख रुपए की जाली करंसी का मामला भी मलाणा क्रीम की खरीद-फरोख्त का ही था। हरियाणा के तस्करों ने मलाणा क्रीम की खरीद की एवज में यह जाली करंसी विक्रेता को थमाई थी, बाद में इसमें एक लाख रुपए की जाली करंसी गोहर में पुलिस के हाथ लगी और उसके बाद पूरे प्रकरण की परतें उधड़ती गईं।


मलाणा क्रीम की गंध फैलती है तेजी से
मलाणा क्रीम की गंध सामान्य चरस के मुकाबले वायु में बड़ी तेजी से फैलती है। मलाणा क्रीम के एक छोटे से टुकड़े को यदि किसी कमरे में रखा जाए तो उसकी गंध पूरे कमरे में तेजी से फैलने के बाद कमरे से बाहर तक भी महसूस की जाएगी। सामान्य चरस में यह गंध बहुत ही फीकी होती है। वास्तव में चरस की गंध को कम सूंघने से सिरदर्द व अधिक सूंघने से मृत्यु भी हो सकती है। इसके लगातार पीने से शरीर के सभी प्रमुख अंग शिथिल कमजोर हो जाते हैं जिससे अकाल मृत्यु की संभावना बढ़ती है।


ठप्प हो जाता है सर्वांगीण विकास
एक सामान्य चरसी अपनी ही धुन में हंसता, रोता और सोचता रहता है जिससे उसका सामान्य सर्वांगीण विकास ठप्प हो जाता है। चरस एक ऐसा भयानक नशा है जो शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक व संवेगी विकास के लिए मृत्युकारक है।


मलाणा क्रीम के नाम पर कई बड़े तस्कर धोखा खा रहे हैं। जाली करंसी का मामला भी मलाणा क्रीम से ही जुड़ा हुआ था। नशा कारोबार से जुड़े लोगों पर पुलिस पैनी निगाह रखे हुए हैं। इस गोरखधंधे से जुड़े कई बड़े मगरमच्छ भी पुलिस के निशाने पर हैं।
- शालिनी अग्निहोत्री, एस.पी. कुल्लू

 

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