Edited By Kuldeep, Updated: 19 Aug, 2024 02:52 PM
जिला कुल्लू के महाराजा कोठी के दरपोईन में तीन दिवसीय मेला बड़े धूमधाम के साथ संपन्न हुआ। यह मेला देवता जमदग्नि ऋषि और माता जोगणी के आशीर्वाद के साथ मनाया जाता है।
कुल्लू़ (दिलीप): जिला कुल्लू के महाराजा कोठी के दरपोईन में तीन दिवसीय मेला बड़े धूमधाम के साथ संपन्न हुआ। यह मेला देवता जमदग्नि ऋषि और माता जोगणी के आशीर्वाद के साथ मनाया जाता है। वहीं इस वर्ष दियार के देवता त्रिजुगी नारायण लगभग 35 वर्ष के बाद देव आदेश पर इस मेले में शिरकत की। देवते के पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया और इस मेले में आकर मेले की शोभा बढ़ाई। लोगों ने मेले में आकर देवी-देवताओं से आशीर्वाद लिया और अपने घर को लौटे। वहीं देवता के आगमन पर प्रीति भोज का भी आयोजन किया गया। इसके बाद देवता त्रिजुगी नारायण प्रीतिभोज के बाद अपने हारियानों के साथ घर को वापस लौटे।
स्थानीय निवासी खेम सिंह ने बताया कि भाद्र मास के पहले दिन से मेला शुरू होता है और 3 दिन तक चलता है। हर वर्ष मेला होता है और ठीक 5 साल के बाद काहिका उत्सव मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष देवता दियार से त्रिजुगी नारायण 35 वर्ष के बाद आए हैं। यह गुरु और चेले है। देवता यहां पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया और देवते के आगमन पर प्रीतिभोज भी रखा गया है। प्रीतिभोज के बाद देवता का यहां से प्रस्थान होगा यह सब देवते पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा कि जब काहिका का आयोजन किया जाता है उस दौरान चार देवता शिरकत करते हैं।
उन्होंने कहा कि भाद्र मास में देवता के गुरु के माध्यम से सरसों का मंत्रोउचारण किया जाता है और घरों की छत पर जाकर भेखल की डाल से बुरी शक्तियों को भगाया जाता है, वहीं त्रिजुगी नारायण के गुर गुप्त राम ने बताया कि 1989 में देवता यहां पर आए थे तो अब 35 वर्ष के बाद फिर से देव के बुलावे पर यहां पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि जमदग्नि ऋषि के साथ गुरु और चेले धर्म है, देवता के बुलाने पर ही हम हारियान के साथ यहां पर देवरथ के साथ पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि 17 अगस्त को देवता ने अपने स्थायी निवास से प्रस्थान किया और 18 अगस्त को देवता जमदग्नि ऋषि के स्थायी निवास में पहुंचे हैं और रविवार देवता का मेला आयोजित हुआ। उन्होंने कहा कि देवताओं ने गुर के माध्यम से आपदा को लेकर कहा कि वे किसी प्रकार की आपदा जिला कुल्लू में नहीं होने देंगे। देवते ने यह भी कहा है कि बारिश कम होगी, लेकिन पशुओं को बेसहारा न छोड़ा जाए।