Kullu: देव नियमों में बंधे देवता, ब्यास नदी को नहीं करते पार

Edited By Kuldeep, Updated: 05 Oct, 2025 06:31 PM

kullu dev niyam beas river

देवताओं के अपने नियम होते हैं। नियम में बंधे होने के कारण कई देवता ब्यास नदी को नहीं लांघते हैं और नदी के पार ही रघुनाथ जी का सम्मान करते हैं।

कुल्लू (धनी राम): देवताओं के अपने नियम होते हैं। नियम में बंधे होने के कारण कई देवता ब्यास नदी को नहीं लांघते हैं और नदी के पार ही रघुनाथ जी का सम्मान करते हैं। ऐसे ही मलाणा के देवता जमलू ऋषि, जाणा के जीव नारायण, सोयल के देवता आजीमल नारायण, तांदला के शुक्ली नाग और सौर गांव के देवता सरवल नाग खराहल घाटी के अंगुडोभी में अस्थायी शिविर में डेरा डालते हैं। देवलुओं की मानें तो देवता ब्यास नदी को पार नहीं करते हैं। जिस कारण ये देवता देव महाकुंभ दशहरा उत्सव में नदी पार से ही भगवान रघुनाथ का अभिनंदन करते हैं।

भगवान रघुनाथ से लेकर लंका दहन तक इन देवता की हर रोज प्रतीक चिन्हों के माध्यम से पूजा-अर्चना होती है। देवता शुक्ली नाग के कारदार नानक चंद ने कहा कि देवता रघुनाथ जी रथ यात्रा में भाग नहीं लेते हैं। उन्होंने कहा कि सदियों पुराने नियम के अनुसार देवता ब्यास नदी को पार नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि दशहरा उत्सव के अंतिम दिन लंका दहन के बाद अपने देवालय लौट जाते हैं।

 

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