Edited By Vijay, Updated: 23 Nov, 2024 05:03 PM
हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) के 18 होटल को बंद करने के हाईकोर्ट के आदेश के बाद से पर्यटन निगम के कर्मचारियों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है....
शिमला (संतोष): हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) के 18 होटल को बंद करने के हाईकोर्ट के आदेश के बाद से पर्यटन निगम के कर्मचारियों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और कर्मचारियों ने इन होटलों को बंद न करने की हाईकोर्ट में याचिका दायर करने का ऐलान कर डाला है। पर्यटन निगम कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री से निगम के अध्यक्ष आरएस बाली को हटाकर निगम की कमान अपने हाथों में लेने की मांग की है।
एचपीटीडीसी कर्मचारी संघ के प्रधान हुकम राम व महासचिव राजकुमार शर्मा ने शिमला में प्रैसवार्ता करते हुए कहा कि संघ उच्च न्यायालय में सभी 18 होटलों को खुला रखने को लेकर याचिका दायर करेगा। बंद किए गए होटल में से कई होटलों की एडवांस बुकिंग हो चुकी है और ऐसे में इन होटलों को खुला रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्यायालय ने केवल ऑक्यूपैंसी को आधार बनाकर अपना फैसला सुनाया है। प्रदेश सरकार के अधिकारियों ने सही ढंग से निगम का पक्ष अदालत के सामने नहीं रखा है। बीते 4 से 5 दिनों से प्रदेश में पर्यटन निगम के होटल को लेकर बवाल मचा हुआ है, लेकिन निगम के अध्यक्ष अभी तक सामने नहीं आए है। पर्यटन निगम के होटल चलाने की स्थिति में है, लेकिन उनकी ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई।
संघ ने पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष आरएस बाली को हटाने की मांग करते हुए निगम की कमान मुख्यमंत्री से अपने हाथों में लेने की मांग की है। संघ ने हाईकोर्ट की ओर से निगम के नौ होटलों को 31 मार्च तक खुला रखने के फैसले का स्वागत किया। साथ ही बाकि नौ होटलों को भी खोलने की गुहार लगाई। संघ ने पर्यटन निगम होटलों को निजी हाथों में सौंपने की साजिश के भी आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि यदि पर्यटन निगम की यह दशा चली है तो इसके पीछे बहुत से ऐसे कारण है। इन कारणों की वजह से पर्यटन निगम अपने आर्थिक संकट से जूझ रहा है और निगम में आए दिन सेवानिवृत्त कर्मचारियों को देनदारियां तो हैं ही, साथ ही यहां कार्यरत कर्मियों को विभिन्न एरियर और छठे वेतनमान का एरियर देना शेष है और कई महीनो से मेडिकल के बिल तक नहीं मिल पा रहे हैं।
निगम प्रदेश सरकार का एक स्टेट होस्ट भी है और प्रदेश सरकार के होने वाले बड़े-बड़े समरोह में निगम द्वारा परोसे गए खान-पान के बिलों का भुगतान भी कई महीनो पश्चात होता आया है और यह भी इस आर्थिक संकट का मुख्य कारण है। बीते समय में प्रदेश सरकार निगम को एक ग्रांट इन एड प्रदान करती थी जो काफी समय से नहीं मिली है, जिसे फिर से शुरू किया जाए। कर्मचारी संघ प्रदेश सरकार से एकमुश्त लगभग 50 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता की मांग करता है, जिससे निगम की वित्तीय स्थिति में सुधार हो सके और पर्यटन की दृष्टि से मशहूर हिमाचल प्रदेश की पूरे भारत वर्ष में छवि खराब न हो, क्योकि विदेशी और विश्व भर के सैलानियों की प्रार्थमिकता इस प्रदेश को भ्रमण करने की रहती है।
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