Edited By Vijay, Updated: 02 Nov, 2023 11:05 PM

प्रदेश हाईकोर्ट से वात्सल्य स्कीम के तहत लगे आऊटसोर्स कर्मियों को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने इनकी सेवा समाप्ति पर फिलहाल रोक लगा दी है। किशोर न्याय (बाल देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के अंतर्गत नियुक्त किए गए काऊंसलर, सुपरवाइजर व हैल्पर्ज को...
शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट से वात्सल्य स्कीम के तहत लगे आऊटसोर्स कर्मियों को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने इनकी सेवा समाप्ति पर फिलहाल रोक लगा दी है। किशोर न्याय (बाल देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के अंतर्गत नियुक्त किए गए काऊंसलर, सुपरवाइजर व हैल्पर्ज को प्रदेश उच्च न्यायालय से यह अंतरिम राहत मिली। न्यायाधीश रंजन शर्मा ने 33 प्रार्थियों द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान उनकी सेवाओं को बनाए रखने के आदेश जारी किए हैं।
याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थियों को वात्सल्य स्कीम के अंतर्गत नियुक्त किया गया है। यह स्कीम किशोर न्याय (बाल देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के प्रावधानों के दृष्टिगत बनाई गई है व लंबे समय से महिला एवं बाल विकास सामाजिक न्याय एवं कल्याण विभाग के अधीन अपनी सेवाएं दे रहे हैं। 11 अक्तूबर, 2023 को केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेशों के तहत उनकी सेवाओं को 31 अक्तूबर, 2023 से समाप्त करने के आदेश जारी किए गए हैं। प्रार्थियों के अनुसार केंद्र सरकार का यह निर्णय कानून की दृष्टि से बिल्कुल गलत है।
प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रथम दृष्टया पाया कि केंद्र सरकार द्वारा पारित किया गया निर्णय भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 का सरासर उल्लंघन है। प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रतिवादियों को आदेश जारी किए कि उक्त पदों पर नई भर्ती करने से पूर्व कोर्ट से अनुमति ली जाए। जब तक इन पदों को भरने के लिए कानूनी तौर पर वात्सल्य स्कीम के अंतर्गत भर्ती प्रक्रिया को अंजाम नहीं दिया जाता, तब तक प्राॢथयों को उक्त पदों पर कार्य करने की इजाजत दी जाए।
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