दवाइयों की टैस्टिंग लैब न होने पर केंद्र व राज्य सरकार को हाईकोर्ट का नोटिस

Edited By Vijay, Updated: 25 May, 2023 11:57 PM

high court notice to central and state government

हाईकोर्ट ने प्रदेश में दवाइयों की परीक्षण प्रयोगशाला न होने पर केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। कोर्ट ने प्रधान सचिव स्वास्थ्य और ड्रग कंट्रोलर से 186 दवाइयों की टैस्ट रिपोर्ट का रिकॉर्ड मंगाया है।

प्रधान सचिव स्वास्थ्य और ड्रग कंट्रोलर से मांगा 186 दवाइयों की टैस्ट रिपोर्ट का रिकॉर्ड
शिमला (मनोहर):
हाईकोर्ट ने प्रदेश में दवाइयों की परीक्षण प्रयोगशाला न होने पर केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। कोर्ट ने प्रधान सचिव स्वास्थ्य और ड्रग कंट्रोलर से 186 दवाइयों की टैस्ट रिपोर्ट का रिकॉर्ड मंगाया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ के समक्ष इस मामले पर सुनवाई हुई। अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि सैंट्रल बैंक की ओर से दवाइयों की परीक्षण प्रयोगशाला बनाने के लिए जारी किए गए 30 करोड़ रुपए का क्या हुआ। कोर्ट ने ड्रग इंस्पैक्टर के खाली पदों की भी जानकारी मांगी है। खाली पड़े पदों को भरने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि वर्ष 2017 में सैंट्रल बैंक ने बद्दी में दवाइयों के परीक्षण के लिए प्रयोगशाला के निर्माण हेतु 30 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की थी। अदालत ने इन सभी निर्माण कार्यों का ब्यौरा तलब किया है।

पीपल फॉर रिस्पाॅन्सिबल गवर्नैंस संस्था ने दायर की है याचिका
पीपल फॉर रिस्पाॅन्सिबल गवर्नैंस संस्था ने सूबे में दवाइयों के परीक्षण प्रयोगशाला न होने पर याचिका दायर की है। आरोप लगाया गया है कि वर्ष 2014 में उद्योग विभाग की ओर से 3.50 करोड़ रुपए प्रयोगशाला के निर्माण के लिए खर्च किए गए हैं लेकिन अभी तक इसे चालू नहीं किया गया है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत 30 करोड़ रुपए की राशि जारी की थी। दवाइयों के परीक्षण के लिए प्रयोगशाला न होने के कारण घटिया दवाइयों का उत्पादन किया जा रहा है। 

खांसी की दवाई पीने से 9 बच्चों की जा चुकी है जान
बद्दी में निर्मित खांसी की दवाई पीने के कारण दिसम्बर 2019 और जनवरी 2020 में जम्मू के उधमपुर में 9 बच्चों की जान चली गई थी। इसी तरह जून और नवम्बर 2022 में जांबिया के 82 बच्चों की किडनी खराब हो गई थी और उनमें से 70 बच्चों की जान चली गई थी। उज्बेकिस्तान के 18 बच्चे भी घटिया दवाई के शिकार हुए थे। आरोप लगाया गया है कि प्रदेश में दवाइयों के परीक्षण के लिए प्रयोगशाला न होने के कारण ऐसे हादसे हो रहे हैं। मामले की अगली सुनवाई 28 जून को निर्धारित की गई है।

हिमाचल में बनीं 11 दवाओं के सैंपल हुए हैं फेल
हिमाचल में बनीं 11 दवाओं समेत देश की 35 दवाओं के सैंपल फेल हो गए हैं। प्रदेश की जिन 11 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं, उनमें 4 दवाएं सिरमौर और 7 सोलन में बनी हैं। केंद्रीय औषधि नियंत्रण संगठन के अप्रैल के ड्रग अलर्ट में यह दवाएं मानकों पर सही नहीं पाई गई हैं। इन दवाओं में स्तन कैंसर, बुखार, संक्रमण, पेट की गैस, बाल झडऩे, हड्डियों की कमजोरी, अल्सर जीवाणु संक्रमण और एलर्जी की दवा शामिल हैं।

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