Edited By prashant sharma, Updated: 08 Jan, 2021 04:59 PM
करीब एक वर्ष से टूरिस्ट स्टेट हिमाचल में पर्यटन तबाही की कगार पर जा पहुंचा है लेकिन प्रदेश सरकार पर्यटन उद्योग को आज तक कोई राहत नहीं दे पाई है।
हमीरपुर : करीब एक वर्ष से टूरिस्ट स्टेट हिमाचल में पर्यटन तबाही की कगार पर जा पहुंचा है लेकिन प्रदेश सरकार पर्यटन उद्योग को आज तक कोई राहत नहीं दे पाई है। राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं सुजानपुर विधायक राजेंद्र राणा ने जारी प्रेस बयान में कहा है कि प्रदेश में लाखों लोग प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष पर्यटन के कारोबार से जुड़े हैं। पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों पर निरंतर कर्जे का भार बढ़ता जा रहा है। कोविड के दौरान बड़ी-बड़ी डींगे हांकने वाली सरकार के आश्वासन इस क्षेत्र के लिए कोरे आश्वासन ही साबित हुए हैं। प्रदेश में होटल कारोबारियों, लीज पर होटल और रेस्टोरेंट चलाने वाले व्यवसायी लाखों और करोड़ों के कर्ज में डूब चुके हैं। उनके पास बैंकों की किस्ते चुकाने का कोई इंतजाम नहीं है। इसी कड़ी से जुड़े टैक्सी चालक भी हाल-बेहाल हैं। सरकार ने इस वर्ग को राहत देने के लिए कई घोषणाएं की थी लेकिन इनको राहत के नाम पर सरकार फूटी कौड़ी नहीं दे पाई है जिस कारण से टूरिस्ट इंडस्ट्री से जुड़े लाखों लोगों के परिवार तनाव में हैं। इनके कर्जे माफ करना तो दूर की बात सरकार इनके ब्याज तक को माफ नहीं करवा पाई है। बिजली, पानी के भारी भरकम बिल चुकाना इस वर्ग के लिए आफत बने हुए हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार तत्काल प्रभाव से इस वर्ग को आर्थिक मदद दे। सरकार अगर इनके लिए ज्यादा कुछ नहीं कर सकती है तो होटल, रेस्टोरेंट, ढाबे, टैक्सीवालों के कर्ज पर ब्याज व इन्हें लगने वाले विभिन्न टैक्सों को बीते बारह महीनों के लिए माफ करे अन्यथा कोविड व महंगाई की मार से तबाही की कगार पर खड़ी टूरिस्ट इंडस्ट्री की री-हैबलीटेशन मुश्किल है। उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार को टूरिस्ट इंडस्ट्री से राजस्व का एक बड़ा हिस्सा आता है। जब तक इनके कारोबार चलते थे तब तक तो ये राज्य की आमदन में इजाफा करने में लगे रहे लेकिन जब इनके कारोबार तबाह हो गए तो सरकार को आगे आकर इस वर्ग के री-हैबलीटेशन के लिए राहत का मरहम लगाना जरूरी है। मंदी की मार झेल रहा पर्यटन व्यवसाय प्रदेश की शान और पहचान है। प्रदेश के लाखों लोगों को पर्यटन व्यवसाय सीधा रोजगार मुहैया करवाने में अहम भूमिका निभाता है। ऐसे में संकट में फंसे इस वर्ग को उबारना सरकार की जिम्मेदारी है।