84 सिद्धों के सिद्ध व 9 नाथों के नाथ हैं गोरक्ष नाथ

Edited By Vijay, Updated: 24 Aug, 2021 05:57 PM

goraksha nath is the siddha of 84 siddhas and the nath of 9 naths

गुग्गा नवमी के दिनों में गुग्गा जाहरवीर जी की गाथा के साथ-साथ गुरु गोरक्ष नाथ की महिमा का गुणगान भी होता है। नाथ पन्थ में गोरक्ष नाथ को 9 नाथों का नाथ व 84 सिद्धों के सिद्ध कहा जाता है। गुरु गोरक्ष नाथ के जन्म की कथा बेहद ही रोचक है।

डाडासीबा (सुनील): गुग्गा नवमी के दिनों में गुग्गा जाहरवीर जी की गाथा के साथ-साथ गुरु गोरक्ष नाथ की महिमा का गुणगान भी होता है। नाथ पन्थ में गोरक्ष नाथ को 9 नाथों का नाथ व 84 सिद्धों के सिद्ध कहा जाता है। गुरु गोरक्ष नाथ के जन्म की कथा बेहद ही रोचक है। कहा जाता है कि मछेन्द्र नाथ ने चन्द्रगिरी नामक नगरी में दयाल पंडित की नि:सन्तान पत्नी सरस्वती को प्रसन्न होकर अपनी झोली से भस्म निकालकर इसे खीर के साथ ग्रहण करने का आदेश दिया था परन्तु आसपास की सहेलियों के बहकावे में आकर सरस्वती ने इस चमत्कारी भस्म को गांव के ही एक गड्ढे में फैंक दिया। गांव के नर-नारी गड्ढा बड़ा होने के कारण 12 वर्ष तक इस गड्ढे में गाय का गोबर फैंकते रहे।

12 वर्ष के पश्चात मछेन्द्र नाथ जब सरस्वती के घर पहुंचे तो उन्होंने बालक के दर्शन करवाने को कहा। इस पर जब सरस्वती ने गड्ढे में फैंकी गई भस्म के बारे में बताया तो मछेन्द्र नाथ तुरंत गोबर के गड्ढे के पास पहुंचे तथा नगरी की जनता ने मछेन्द्र नाथ के आदेश अनुसार जब 12 वर्ष के गोबर को गड्ढे से निकाला तो गोबर के भीतर से ही एक अत्यंत तेजधारी बालक निकला। मछेन्द्र नाथ बोले ‘‘बेटा तुम्हारी उत्पति गाय के गोबर से हुई है, इसलिए आज से तुम गोरक्ष नाथ के नाम से जाने जाओग’’। कलयुग में तुम्हारा यश सूर्य के समान पृथ्वी लोक पर फैल जाएगा।

गुग्गा महापुराण में गोरक्ष नाथ की मायावी शक्तियों व उनके नेत्रदान का जिक्र है। कहा जाता है कि एक गृह स्वामिनी के घर जब गोरक्ष नाथ दूसरी बार भिक्षा मांगने गए तो गृह स्वामिनी ने गुस्से में आकर गोरक्ष नाथ की एक आंख मांग ली। इससे पहले कि गृह स्वामिनी भिक्षा देती, गुरु गोरक्ष नाथ ने तुरन्त अपनी आंख के अन्दर उंगली डाल पुतली चीरते हुए एक झटके से अपनी आंख बाहर निकाल दी।

उधर, मछेन्द्र नाथ अपनी योगमाया से सब कुछ देख रहे थे। मछेन्द्र नाथ ने जहां मंत्रों से गोरक्ष नाथ की आंख को ज्यों का त्यों कर दिया, वहीं समस्त विद्याएं, चारों वेद, 6 शास्त्रों तथा 18 पुराणों के अलावा संजीवनी व सांभर तंत्रों की विधाएं तथा भूत-प्रेत, बेतालों को वश में करने के मंत्र देकर अपने शिष्य को समस्त तरह की ऋद्धि-सिधि से परिपूर्ण कर दिया। मान्यता है कि समस्त तंत्र-मंत्र गुरु गोरक्ष नाथ से शुरू होकर उनके पास ही आकर खत्म होते हैं।

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