Edited By Kuldeep, Updated: 07 Sep, 2025 09:41 PM
राज्य में मानसून का क्रम लगातार बना हुआ है। रविवार को भी यैलो अलर्ट के बीच हल्की-फुल्की बारिश अवश्य हुई, लेकिन बीच-बीच में हल्के बादलों के साथ कई जगह धूप भी खिली।
शिमला (संतोष): राज्य में मानसून का क्रम लगातार बना हुआ है। रविवार को भी यैलो अलर्ट के बीच हल्की-फुल्की बारिश अवश्य हुई, लेकिन बीच-बीच में हल्के बादलों के साथ कई जगह धूप भी खिली। सोमवार को राज्य के 9 जिलों ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सोलन व सिरमौर में एक-दो स्थानों पर गरज के साथ बिजली गिरने की संभावनाओं के साथ यैलो अलर्ट जारी किया गया है, जबकि चम्बा, किन्नौर व लाहौल-स्पीति में कोई अलर्ट नहीं रहेगा। मंगलवार से किसी भी प्रकार का कोई अलर्ट जारी नहीं किया गया है, जिससे प्रतीत होता है कि आगामी दिनों मानसून थोड़ा धीमा पड़ सकता है।
रविवार को राजधानी शिमला सहित अन्य इलाकों में दिन के समय बारिश हुई, जबकि उच्च पर्वतीय इलाकों में हल्की बर्फबारी से पहाड़ी इलाकों में मौसम हल्का ठंडा हो गया है। शिमला में 0.7, नाहन में 5.2, केलांग में 1, चम्बा में 1, नारकंडा में 9.5, धौलाकुआं में 4.5, रिकांगपिओ में 0.5, सेओबाग में 0.5, नेरी में 7 और बजौरा में 2.5 मिलीमीटर वर्षा हुई, जबकि कांगड़ा में बूंदाबांदी हुई। बीते 24 घंटों में मानसून की रफ्तार धीमी रही और केवल कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई। सिरमौर के पच्छाद में सर्वाधिक 40 मिलीमीटर, मनाली में 24, नयना देवी और धौलाकुआं में 16-16, केलांग में 15, भरवीं में 14 और नाहन में 13 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई।
लगातार हो रही बरसात ने प्रदेश में सड़कों का हाल बेहाल कर दिया है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार रविवार शाम तक 2 एन.एच. और 824 संपर्क मार्ग बंद रहे। कुल्लू जिला सबसे अधिक प्रभावित है, जहां एन.एच.-03 और एन.एच.-305 अवरुद्ध हैं और 225 संपर्क मार्ग ठप्प हैं। मंडी में 191, शिमला में 146, चम्बा में 88, कांगड़ा में 44 और सिरमौर में 36 मार्ग बाधित हैं, जिससे यातायात पूरी तरह से प्रभावित हो गया है। ऊपरी शिमला के सेब बाहुल्य क्षेत्रों में भी सड़कों के बंद होने से बागवानों की परेशानियां बढ़ गई हैं। शिमला जिले के रोहड़ू में 45, कोटखाई में 24 और कुमारसैन में 17 संपर्क मार्ग बंद हैं, जिसके कारण सेब की खेप समय पर मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही है और सीजन पर सीधा असर पड़ा है। प्रशासन सड़क बहाली के कार्य में जुटा है।
बिजली और पानी की आपूर्ति भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। प्रदेश में 1480 ट्रांसफार्मर ठप्प हो चुके हैं, जिनमें अकेले कुल्लू के 811 शामिल हैं। मंडी में 202, चम्बा में 171, शिमला में 145 और लाहौल-स्पीति में 142 ट्रांसफार्मर खराब हो गए हैं। इसी तरह 336 पेयजल योजनाएं ठप्प हैं, जिनमें शिमला की 130, मंडी की 79, कुल्लू की 63 और चम्बा की 42 शामिल हैं।
इस मानसून सीजन में अब तक 366 लोगों की जान जा चुकी है, 41 लोग लापता हैं और 426 घायल हुए हैं। मंडी में 59, कांगड़ा में 50, चम्बा में 43, शिमला में 39, कुल्लू में 38, किन्नौर में 28, सोलन में 26, ऊना में 22, बिलासपुर व सिरमौर में 18-18, हमीरपुर में 16 और लाहौल-स्पीति में 9 मौतें दर्ज की गई हैं। बरसात से 1991 पशुओं और 26 हजार से अधिक पोल्ट्री पक्षियों की मौत भी हो चुकी है। भारी बारिश से अब तक 6271 मकान क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिनमें 1194 पूरी तरह ढह गए हैं। इसके अलावा 460 दुकानें और 5284 पशुशालाएं भी धराशायी हो गई हैं। प्रारंभिक आकलन के अनुसार सार्वजनिक संपत्ति को 4080 करोड़ रुपए का नुक्सान हुआ है। इसमें लोक निर्माण विभाग को 2743 करोड़, जल शक्ति विभाग को 2518 करोड़ और ऊर्जा विभाग को 139 करोड़ रुपए का नुक्सान शामिल है।
इस मानसून में प्राकृतिक आपदाओं का सिलसिला भी जारी है। अब तक 136 भूस्खलन, 95 फ्लैश फ्लड और 45 बादल फटने की घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं। लाहौल-स्पीति में सबसे ज्यादा 28 भूस्खलन और 56 फ्लैश फ्लड हुए हैं, जबकि मंडी जिला 19 बादल फटने की घटनाओं के साथ सबसे अधिक प्रभावित रहा है।