Edited By Vijay, Updated: 26 Sep, 2024 05:46 PM
पिता की आंखों से अब दो लोगों के नेत्रों को रोशनी मिलेगी। समाज के लिए यह मिसाल जिला कुल्लू के आनी निवासी एक युवक ने पेश की है, जहां अपने 62 वर्षीय पिता की मृत्यु के बाद उसने उनकी आंखें दान की हैं।
शिमला (संतोष): पिता की आंखों से अब दो लोगों के नेत्रों को रोशनी मिलेगी। समाज के लिए यह मिसाल जिला कुल्लू के आनी निवासी एक युवक ने पेश की है, जहां अपने 62 वर्षीय पिता की मृत्यु के बाद उसने उनकी आंखें दान की हैं। नेत्रदान करने के बाद नेत्र रोग विभाग की ओर से डॉक्टर विनय गुप्ता ने संबंधित परिवार को प्रशस्ति पत्र जारी किया गया। जानकारी के मुताबिक आईजीएमसी शिमला में कुल्लू जिला के आनी निवासी युवक अशोक कुमार ने अपने 62 वर्षीय मृत पिता की आंखें दान की हैं।
अब उनके पिता की आंखें दो लोगों के जीवन की रोशनी बनेगी। युवक अशोक कुमार ने कहा कि उनके पिता लंबे समय से फेफड़ों के रोग से ग्रसित थे। लंबे समय तक इलाज चला रहा। इसी बीच कुछ दिन पहले 11 सितम्बर को सीटीवीएस विभाग में दाखिल उनके पिता ने अंतिम सांस ली। उन्होंने बताया कि उनके पिता समाज सेवा में हमेशा तत्पर रहते थे। बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए उन्होंने सीटीवीएस विभाग के डाॅ. सुधीर मैहता व डाॅ. सीमा का धन्यवाद किया।
किसी ने सराहा तो कुछ ने किया कोसना शुरू, लेकिन नहीं की परवाह
अशोक कुमार ने कहा कि नेत्रदान करने की बात जब गांव में फैली तो किसी ने इस कार्य की सराहना की तो वहीं किसी ने परिवार को कोसना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि लोगों में यह भ्रांति है कि मरने के बाद अगर नेत्रदान किए जाएं तो आत्मा को शांति नहीं मिलती, इसी अंधविश्वास के चलते लोग नेत्रदान से पीछे हट जाते हैं। उन्होंने कहा कि समाज में इसी भ्रम को दूर करने की जरूरत है।
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