144 वर्ष बाद शिवरात्रि महोत्सव में आए देवता अनंत बालू नाग ने की बड़ा देव कमरूनाग से भेंट

Edited By Vijay, Updated: 10 Mar, 2024 11:34 PM

deity anant balu nag meets bada dev kamrunag

टारना मंदिर में विराजमान मंडी जनपद के आराध्य बड़ा देव कमरूनाग से रविवार को कुल्लू जिले के देवता अनंत बालू नाग ने भेंट की। कांगणीधार स्थित देव सदन में रुके देवता अनंत बालू नाग रविवार सुबह मंडी शहर के लिए देवलुओं के साथ रवाना हुए और पड्डल मैदान से...

मंडी (रजनीश): टारना मंदिर में विराजमान मंडी जनपद के आराध्य बड़ा देव कमरूनाग से रविवार को कुल्लू जिले के देवता अनंत बालू नाग ने भेंट की। कांगणीधार स्थित देव सदन में रुके देवता अनंत बालू नाग रविवार सुबह मंडी शहर के लिए देवलुओं के साथ रवाना हुए और पड्डल मैदान से होते हुए श्रद्धालुओं को दर्शन देकर टारना मंदिर पहुंचे। यहां पर रुकने के बाद देवता फिर से देव सदन के लिए रवाना हुए। बता दें कि कुल्लू की बंजार घाटी के तांदी गांव से आए देवता अनंत बालू नाग बालीचौकी से करीब 144 वर्ष बाद शिवरात्रि महोत्सव में मंडी पहुंचे हैं। देवता अनंत बालू नाग के साथ चले देवलुओं के अनुसार 1880 में देवता यहां आए थे। 
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राजमहल में निरोल में रहती हैं 6 देवियां 
अंतर्राष्ट्रीय महाशिवरात्रि महोत्सव में भाग लेने के लिए सैंकड़ों देवी-देवता मंडी पहुंचते हैं, लेकिन 6 देवियां ऐसी हैं जो राजमहल के निरोल में रहती हैं। ये देवियां बाहर नहीं निकलती हैं और लोग इनके वहीं दर्शन करते हैं। इन 6 देवियों में बगलामुखी, श्रीदेवी बूढ़ी भैरवा पंडोह, श्रीदेवी काश्मीरी माता, श्री धूमावती व मां पंडोह शामिल हैं। बता दें कि राजतंत्र के समय राजमहल में रानियां इन्हीं देवियों की सेवा में तत्पर रहती थीं, लेकिन सदियों पुरानी इस परंपरा का आज भी निर्वहन किया जा रहा है। मंडी रियासत की 6 क्षेत्रों से आने वाली ये देवियां पर्दे में रहती हैं और राजमहल के अंदर ही इनकी पूजा-अर्चना होती है।
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बाबा भूतनाथ की निकाली शोभायात्रा
बाबा भूतनाथ की जलेब में नागा व अघोरी साधुओं को लेकर चले विवाद के बीच रविवार को नागा व अघोरी साधुओं के बिना ही बाबा भूतनाथ की शोभायात्रा निकाली गई। ब्यास नदी के तट से शुरू होकर यह जलेब शहर का चक्कर काटते हुए   पुनः ब्यास नदी के तट तक निकाली गई, जिसमें श्रद्धालुओं के साथ-साथ साधु-संतों ने भी भाग लिया। जलेब में भगवान भोलेनाथ के भजनों पर झूमते-नाचते हुए श्रद्धालुओं ने पूरे शहर का भ्रमण किया।  बाबा भूतनाथ मंदिर के महंत देवानंद सरस्वती ने कहा कि सभी के सहयोग से इस शोभायात्रा का आयोजन किया गया।
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सुरक्षा के लिए कार बांधते हैं श्री देव आदि ब्रह्मा 
श्री देव आदि ब्रह्मा उत्तरशाल टिहरी राजतंत्र के समय से ही मंडी रियासत की सुरक्षा करते आए हैं। अंतर्राष्ट्रीय महाशिवरात्रि महोत्सव के दौरान देवता अंतिम दिन शहर की परिक्रमा कर आटा फैंक कर राज्य की सुरक्षा के लिए कार बांधते हैं। कारदार झाबे राम ने बताया कि एक समय की बात है कि राज्य में बीमारी फैल गई और राजा ने सभी देवताओं को बीमारी ठीक करने के जिए आमंत्रित किया, लेकिन श्री देव आदि ब्रह्मा ने ही बीमारी खत्म करने के लिए हामी भरी। देवता ने मंडी रियासत को कार बांधते हुए आटा फैंका और बीमारी खत्म हो गई और तभी से मंडी रियासत की सुरक्षा के लिए यह परंपरा निभाई जा रही है। इसके साथ ही देवता पराशर में भी कार बांधते हैं और मंदिर में जाकर विधिवत पूजा कार्य करने के उपरांत वापस आते हैं। शिवरात्रि महोत्सव में श्री देव आदि ब्रह्मा के 3 गुरों को 15-20 किलोग्राम आटा और 3 कपड़े मिलते हैं। देवता के 2 भंडार गृह टिहरी और मशौरी तथा 3 मंदिर राला, टिहरी व मशौरी में हैं। आषाढ़ संक्रांति को पराशर गांव का फेरा होता है, उसके पश्चात झील की परिक्रमा होती है। 
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पड्डल मैदान में बैठे देवी-देवताओं से लिया लोगों ने आशीर्वाद
टारना मंदिर में बड़ा देव कमरूनाग के दर्शनों के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंचे, जिसके चलते यहां दिनभर लंबी लाइनें लगी रहीं। उधर पड्डल मैदान में भी बैठे देवी-देवताओं से भी श्रद्धालुओं ने आशीर्वाद लिया। इसके साथ ही दूरदराज क्षेत्रों से आए देवलू वाद्ययंत्रों की धुन पर देवता सहित नृत्य कर रहे हैं। विभिन्न रथ शैली में सजे देवी-देवताओं के रथ सूर्य की रोशनी में इस कदर चमकते हैं कि उन्हें बार-बार देखने का मन करता है। 
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