देश में पूंजीपतियों का राज स्थापित करने में लगी है बीजेपी सरकार : राणा

Edited By prashant sharma, Updated: 26 Sep, 2020 02:35 PM

bjp is engaged in establishing the rule of capitalists in country rana

जीएसटी फंडस की करोड़ों की राशि को केंद्र सरकार ने कहीं और इस्तेमाल करके राज्य सरकारों को बड़ा धोखा दिया है। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है।

हमीरपुर : जीएसटी फंडस की करोड़ों की राशि को केंद्र सरकार ने कहीं और इस्तेमाल करके राज्य सरकारों को बड़ा धोखा दिया है। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। उन्होंने कहा कि ईस्ट इंडिया कंपनी की तर्ज पर देश में पूंजीपतियों की हुकूमत कायम करने में लगी बीजेपी सरकार ने सरकारी मंडियों के बाद अब सरकारी स्कूलों को ठेके पर देने की तैयारी भी की है। उन्होंने कहा कि आर्थिक मंदी के चरम पर पहुंचे देश में अब 36 सरकारी विभागों के निजीकरण का फरमान सुनाया गया है। सरकार किसानों और सरकारी मंडियों का निजीकरण करने के लिए पहले ही तीन बिल पास करवा चुकी है, जिसको लेकर समूचे देश के आक्रोशित किसान सड़कों पर हैं। उन्होंने कहा कि पहले किसानों को विश्वास में लिए बिना उनकी जमीनें प्राइवेट कंपनियों को गिरवी रखवा दी गई हैं और अब सरकार ने किसानों का न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म कर दिया है। अब ताजा घटनाक्रम में देश भर के सरकारी स्कूलों को 50 फीसदी निजी बनाने की सिफारिश केंद्र को सौंपी गई है। इन सेवाओं के तहत सरकारी स्कूलों में भी स्टाफ को भी ठेके के आधार पर निजी हाथों में सौंपने की तैयारी की जा रही है। उधर कैग की रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि 47272 करोड़ रुपए की जीएसटी फंड को सरकार ने कहीं और इस्तेमाल कर लिया है और अब जीएसटी भुगतान के लिए राज्य सरकारों को कर्जा लेने की हिदायत दे रही है। 

उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों के साथ किए गए इस धोखे में केंद्र ने नियमों को दरकिनार करते हुए वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 जीएसटी कंपनसेशन सेस की राशि कन्सोलिडेटड फंड ऑफ इंडिया में रखी और इस फंड को दूसरे कामों के लिए इस्तेमाल कर लिया। कंट्रोलर सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि पिछले सप्ताह केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया है कि राज्यों को जीएसटी कंपनसेशन देने के लिए सीएफआई से फंड जारी करने का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन कैग का कहना है कि खुद केंद्र सरकार ने ही इस मामले में नियमों को दरकिनार किया है। राणा ने कहा कि कैग ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि स्टेटमेंट 8, 9 और 13 के ऑडिट परिक्षण से पता चलता है कि जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर लक्षण में कम फंड क्रेडिट हुआ है। वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 के लिए 47272 करोड़ रुपए का कम फंड क्रेडिट किया गया है। जो कि जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर एक्ट 2017 के नियमों का उल्लंघन है। 

उन्होंने कहा कि कंपनसेट एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक किसी भी वर्ष में जमा किए गए कुल उपकर नॉन लेप्सड जीएसटी कंपनसेशन फंड में क्रेडिट किया जाता है क्योंकि यह पब्लिक अकाउंट का हिस्सा है। इसका इस्तेमाल राज्यों को जीएसटी की भरपाई के लिए होता है, लेकिन केंद्र सरकार ने कुल जीएसटी सेस को कंपनसिएशन फंड में ट्रांसफर करने की बजाय इसे सीएफआई में रखा और बाद में इसका इस्तेमाल अन्य कामों के लिए किया गया। यह रकम राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति के तौर पर जारी की जानी थी, लेकिन इसे न जारी करके देश की राज्य सरकारों से बड़ा धोखा किया है। राणा ने कहा कि पहले वन नेशन, वन टैक्स के नाम पर गलत जीएसटी लगाकर धोखा दे चुकी सरकार अब देश के किसानों को अब वन नेशन, वन मार्केट के नाम पर धोखा देकर किसान बिल लाई है। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर सरकार अंग्रेजी हुकूमत की तर्ज पर देश में पूंजीपतियों का राज स्थापित करने के लिए जबरदस्त पैरवी करती हुई आम नागरिकों के हितों को लगातार निगल रही है।
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!