Edited By Kuldeep, Updated: 20 Jul, 2025 07:49 PM

यूं तो हर नारी का जीवन संघर्षों से भरा होता है लेकिन अप्रत्याशित चुनौतियों में जन्मी, संघर्षों में पली-बढ़ी बैजनाथ के धरेड़ गांव की वीर नारी वृक्षा देवी का किरदार समूचे क्षेत्र के लिए अद्वितीय संघर्षों की अनुकरणीय कहानी बन गया है।
बैजनाथ (विकास बावा): यूं तो हर नारी का जीवन संघर्षों से भरा होता है लेकिन अप्रत्याशित चुनौतियों में जन्मी, संघर्षों में पली-बढ़ी बैजनाथ के धरेड़ गांव की वीर नारी वृक्षा देवी का किरदार समूचे क्षेत्र के लिए अद्वितीय संघर्षों की अनुकरणीय कहानी बन गया है। वृक्षा देवी के जीवन में मुश्किलों के कई पतझड़ आए लेकिन हर बार तमाम बाधाओं को पार करते हुए जड़ों से टिकना सीखा और हर पतझड़ के बाद हरियाली की चादर ओढ़ी। 5 साल की उम्र में न सिर्फ ईश्वर ने माता-पिता छीन लिए, बल्कि 2 भाइयों से भी जुदा कर दिया। दरअसल माता-पिता की मृत्यु के बाद हालात इस कदर बिगड़े कि 2 भाइयों सहित वृक्षा देवी को बाल आश्रम भेजने की नौबत आन पड़ी। हालांकि दादा बरड़ू राम और दादी साहनी देवी ने लड़की होने के नाते वृक्षा देवी का पालन-पोषण खुद करने का फैसला लिया। साल दर साल बड़ी होती गई और पढ़ती भी रही।
वर्ष 2003 में 10वीं की परीक्षा अव्वल दर्जे में उत्तीर्ण करने के बाद जब उसके पारिवारिक हालत की जानकारी तत्कालीन अध्यापिका स्व. कुसुम भंडारी को पता चली तो उन्होंने उसकी आगे की पढ़ाई का खर्चा उठाने का निश्चय किया। नतीजा यह हुआ कि जमा दो के बाद 2008 में सनातन धर्म महाविद्यालय बैजनाथ से स्नातक की डिग्री हासिल की। शादी के बाद पति रमेश कुमार ने वृक्षा देवी की पढ़ाई के प्रति रुचि और काबिलियत को देखते हुए उन्होंने बीएड के बाद एमएड भी कार्रवाई। नतीजा यह हुआ कि टैट और कमीशन क्वालीफाई करने के बाद 2019 में राजकीय उच्च विद्यालय धरोटी (राजगढ़) में भाषा अध्यापक के पद पर नियुक्त हुई। सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था लेकिन बीते दिनों सैन्य सुरक्षा बल गोरखपुर में बतौर एएसआई उनके पति रमेश कुमार की हृदय गति रुक जाने से मौत हो गई।
सरकार व समाज वीर नारियों को सुहागिनों की दे मान्यता : वृक्षा
हिम्मत, लगन और त्याग की प्रतिमूर्ति उस समय और भी मजबूती के साथ खड़ी रही, जब पति के अंतिम संस्कार की रस्मों के मौके पर वृक्षा देवी ने सरकार और समाज से आह्वान किया कि उन जैसी वीर नारियों को विधवा नहीं, बल्कि सुहागिनों की मान्यता दें, क्योंकि फौजी कभी मरते नहीं हैं। इस दौरान वह रमेश कुमार की माता को लगातार ढांढस बंधाती दिखीं। हालांकि वृक्षा देवी की बेटी शैवी 8वीं और बेटा कनव 5वीं कक्षा में पढ़ रहे हैं। यदि मौका मिला तो उन्हें भी फौज में भेजने से जरा भी नहीं हिचकिचाएंगी।