सावधान! ऑक्सीजन सिलैंडर और रेमडेसिविर इंजैक्शन के नाम पर हो रहा ठगी का प्रयास

Edited By Vijay, Updated: 10 May, 2021 11:43 PM

attempted fraud in the name of oxygen cylinder and remedisvir injection

साइबर अपराधी कोरोना के बीच लोगों को आ रही मुश्किलों का फायदा उठाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके तहत शातिर अस्पतालों में बैड, ऑक्सीजन सिलैंडर और रेमडेसिविर इंजैक्शन के नाम पर लोगों को अपने झांसे में फंसाने में लगे हैं। इसके लिए ठग सोशल साइट्स का सहारा...

शिमला (राक्टा): साइबर अपराधी कोरोना के बीच लोगों को आ रही मुश्किलों का फायदा उठाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके तहत शातिर अस्पतालों में बैड, ऑक्सीजन सिलैंडर और रेमडेसिविर इंजैक्शन के नाम पर लोगों को अपने झांसे में फंसाने में लगे हैं। इसके लिए ठग सोशल साइट्स का सहारा ले रहे हैं। ऐसे में स्टेट साइबर क्राइम पुलिस ने एडवाइजरी जारी की है। कोरोना महामारी में लोग सोशल साइट्स और एप्स पर भी स्वास्थ्य से जुड़ी कई तरह की मदद मांग रहे हैं जिसका फायदा ठगों ने उठाना शुरू कर दिया है।

साइबर पुलिस के अनुसार देखने में आया है कि ठग गूगल पर अस्पतालों का फर्जी नंबर डालते हैं और फिर कर्मचारी बनकर ठगी का खेल खेलते हैं तथा लोगों से एडवांस पेमैंट वसूलते हैं। इसके अलावा फर्जी वैबसाइट, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया अकाऊंट और ई-मेल बनाते हैं, जिससे ये मैडीकल उत्पादों को बचने का दावा करते हैं। ठगों की तरफ  से बैंक और यूपीआई के माध्यम से भुगतान करवाया जाता है। स्वास्थ्य अधिकारी बनकर भी ठगी का शिकार बनाया जा सकता है।

एएसपी साइबर क्राइम नरवीर सिंह राठौर ने कहा है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम पूरे देश में लागू है। इसके तहत ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ  कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, जो सरकार के आदेशों के संदर्भ में लोगों में भ्रांतियां फैलाने का प्रयास कर रहे हैं, कोविड-19 कफ्र्यू या लॉकडाऊन के संदर्भ में भ्रांतियां एवं दुष्प्रचार करके लोगों की जान को खतरा उत्पन्न करते हैं। उन्होंने कहा कि कोविड कर्फ्यू के दौरान ई-पास प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा जारी एप या वैबसाइट पर ही आवेदन करें। किसी भी यातायात साधन की आवश्यकता पडऩे पर गूगल पर दिए गए नंबरों पर विश्वास न करें, केवल सरकार द्वारा बताए गए सहायता नंबरों पर ही संपर्क कर सुविधाओं का लाभ उठाएं।

जालसाजों से ऐसे बचें

  • संदिग्ध ई-मेल, सोशल मैसेजिंग एप्स व गूगल आदि पर किसी भी ङ्क्षलक पर क्लिक करने से बचें।
  • सोशल साइट्स से अस्पताल, मैडीकल व अन्य जरूरी सुविधा का नंबर लेते समय विशेष सावधानी बरतें।
  • असत्यापित वैबसाइट से मिले कस्टमर केयर व पर्सनल नंबर से ठगी का शिकार हो सकते हैं। सत्यता की जांच किए बिना एडवांस पेमैंट करने से बचें।
  • पैसे दान करने से पहले चैरिटी फंड की साख के बारे में जांच जरूर करें।
  • सोशल मीडिया पर अनजान व्यक्तियों से चैटिंग न करें और अपरिचित नंबर की काल भी रिसीव न करें।
  • साइबर अपराधी किसी एप और दूसरे मोबाइल की मदद से वीडियो रिकार्ड करते हैं। व्हाट्सएप पर अगर अपरिचित नंबर से चैटिंग के लिए मैसेज आता है तो उसका जवाब नहीं देना चाहिए।
  • आपके पास वीडियो काल आए तो अपना कैमरा ऑन न करें।
  • व्हाट्सएप प्राइवेसी में अपना अकाऊंट सिर्फ कान्टैक्ट करके रखें।
  • फेसबुक पर आने वाले लाइव चैट के विज्ञापन से बचकर रहें।
  • वीडियो को वायरल करने की धमकी देकर ब्लैकमेल किया जाए तो पुलिस की सहायता लें।

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