Edited By Vijay, Updated: 10 Jul, 2025 09:17 PM

चम्बा जिले के चुराह क्षेत्र के सेब पौध खरीद घोटाले में आरोपियों को राहत नहीं मिल रही है।
तीसा (ब्यूरो): चम्बा जिले के चुराह क्षेत्र के सेब पौध खरीद घोटाले में आरोपियों को राहत नहीं मिल रही है। हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें झटका लगा है। हाईकोर्ट में जमानत याचिका खारिज होने के बाद आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दाखिल की थी। कुछ आरोपियों की जमानत पर सुनवाई हुई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही बताया। वहीं आरोपियों को अंतरिम जमानत देने से इंकार कर दिया है। हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलने के कारण अब आरोपियों की गिरफ्तारी तय है। पुलिस ने आरोपियों की धरपकड़ की तैयारी कर ली है। इसके बाद मामले की जांच फिर से आगे बढ़ेगी। हाईकोर्ट के फैसले के बाद आरोपी दिल्ली चले गए थे। वहीं पुलिस उनकी तलाश तीसा में कर रही थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने कुछ आरोपियों की सुनवाई की है, जो उनके लिए अब मुश्किलें खड़ी करेगा क्योंकि अंतरिम जमानत न मिलने से गिरफ्तारी की तलवार आरोपियों पर लटक रही है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद आरोपियों पर शिकंजा कसा जाएगा। गौरतलब है कि वर्ष 2022 में शिकायतकर्त्ता द्वारा शिकायत दी गई थी कि मद मनरेगा के अंतर्गत पौधारोपण के 8 कार्य स्वीकृत हुए थे। इन कार्यों पर करीब 1,17,16,032 रुपए खर्च किए जाने थे। वहीं वैंडरों के खाते में 88 लाख रुपए की राशि सरकारी खाते से डाली गई। इस पर स्थानीय लोगों ने इसकी शिकायत हिमाचल प्रदेश के मुख्य सचिव से की। इस दौरान उन्होंने जांच बिठाई जिसमें शिकायतकर्त्ता द्वारा लगाए गए आरोप सही पाए गए, जिसमें पंचायत प्रधान को केवल निलंबित किया गया, वहीं अन्य लोगों पर जांच के बाद कोई कार्रवाई नहीं हो पाई। बताया जा रहा है कि एक प्रतिनिधि ने अपने घर के पास करीब 5,000 सेब के पौधे भी रखे थे।
वहीं नर्सरी वैंडर द्वारा ग्राम पंचायत सनवाल को 48,500 पौधे उपलब्ध करवाए, लेकिन वह केवल 22,500 पौधे बेचने के लिए ही अधिकृत था। वहीं जांच के दौरान पाया गया कि एक पंचायत वैंडर के खाते से पंचायत प्रतिनिधियों के खाते में लाखों का लेन-देन भी पाया गया। यही नहीं, बताया जा रहा है जो बिल पंचायत द्वारा प्रस्तुत किए गए थे वे एक ही व्यक्ति की लिखावट में पाए गए थे। इसको लेकर पुलिस द्वारा सभी आरोपियों के हस्ताक्षर नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं।
मामले में बागवानी विभाग ने खुलासा किया कि वर्ष 2022-23 में नर्सरी वैंडर के पास 22,400 पौधे बिक्री के लिए उपलब्ध थे, लेकिन उन्होंने सनवाल पंचायत को 48,500 पौधे बेचे। यही नहीं, चुराह और अन्य ग्राम पंचायतों को भी सेब के पौधे उपलब्ध करवाए थे। जांच टीमों द्वारा मौके का निरीक्षण किया गया तो पाया गया कि प्राथमिक पाठशाला सनवाल के पास सेब के पौधों की असमान रोपाई की गई थी। वहीं एक व्यक्ति के एक बीघा भूमि में 310 पौधे रोपे गए थे, जबकि एक बीघा में केवल 22 से 32 पौधे ही रोपे जा सकते हैं। जांच कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार 19,387 पौधे रोपे गए थे, जिनमें से अधिकांश सूख गए थे। वहीं पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा बताया गया कि पौधारोपण के बाद क्षेत्र में भारी बारिश हुई थी। भारी बारिश के कारण 7,346 पौधे क्षतिग्रस्त हो गए थे, लेकिन राजस्व विभाग के अनुसार उस दौरान क्षेत्र में भारी बारिश नहीं हुई थी।