Himachal: डाक्टरों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून जरूरी : शीतल एमएल कश्यप

Edited By Kuldeep, Updated: 29 Jun, 2025 11:15 PM

chamba sheetal doctor security

चम्बा मैडीकल कॉलेज की शीतल एमएल कश्यप का कहना है कि मैडीकल बिरादरी को सबसे पहले जो सिखाया जाता है वह है सहानुभूति।

हिमाचल डैस्क: चम्बा मैडीकल कॉलेज की शीतल एमएल कश्यप का कहना है कि मैडीकल बिरादरी को सबसे पहले जो सिखाया जाता है वह है सहानुभूति। मैं भी इसी इरादे से मैडीकल कालेज में दाखिल हुई थी, सहानुभूति रखने और लोगों की सेवा करने के लिए। लेकिन अब जब मैं बदलता हुआ परिदृश्य देख रही हूं और डाक्टरों को हर दिन पीटा जा रहा है तो मुझे ऐसा नहीं लगता कि मैं एक अच्छी डाक्टर बनूं जो नि:स्वार्थ भाव से सेवा करे। 

निश्चित रूप से आज मैं ऐसा सोच रही हूं और कल सभी डाक्टर ऐसा सोचेंगे। हम कब तक इस अपमान का सामना करेंगे? हम कब तक इस हिंसा को स्वीकार करेंगे? हम कब तक अपना मुंह और आंखें बंद रखेंगे और चीजों को अनदेखा करेंगे? हम कब तक लोगों को अपनी चुप्पी का फायदा उठाने देंगे? कल आधी रात को पंडित जवाहर लाल नेहरू मैडीकल कालेज चम्बा के विद्यार्थियों और स्थानीय लोगों के बीच झगड़ा हुआ, जिसके परिणामस्वरूप विद्यार्थी गंभीर रूप से घायल हो गए। 

विद्यार्थियों को घायल करने वाले शहर के स्थानीय लोगों के पास लोहे की रॉड और चाकू जैसे हथियार थे। उन पर चाकू से हमला किया गया। उनमें से एक को गर्दन में कैरोटिड धमनी के बहुत करीब चोट लगी है। धमनी पर हल्का सा भी कट लगने से उसकी जान जा सकती थी। अन्य 3 विद्यार्थी भी गंभीर रूप से घायल हैं। उनमें से एक के हाथ में चाकू घोंपा गया। 

मेरा सवाल है कि इस सब के लिए कौन जिम्मेदार है? जिन लोगों ने ऐसा किया, या सरकार, जो हमारे अंतहीन अनुरोधों के बावजूद डाक्टरों की सुरक्षा के लिए कोई सख्त कानून नहीं बनाती? इन लोगों को पता है कि उन्हें हर बार क्लीन चिट मिल जाएगी और यहीं से उनमें आत्मविश्वास आता है। हिंसक घटनाएं एक या दो हफ्ते के लिए सोशल मीडिया पर छा जाती हैं और हम फिर से ऐसी चीजों का सामना करते हैं। हम डाक्टर लोगों की जिंदगी बचाने के लिए अपनी पूरी जवानी, अपना घर, अपनी निजी जिंदगी, अपना स्वास्थ्य कुर्बान कर देते हैं। बदले में हमें क्या मिलता है? अपमान, हिंसा और हमले। 

अगर हालात नहीं बदले तो कोई भी भारत में डाक्टर के तौर पर काम नहीं करना चाहेगा। वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए मैं खुद कभी भी भारत में डाक्टर नहीं बनना चाहूंगी, जहां हमें बुनियादी सम्मान नहीं मिल सकता। हम घरों में अपने कार्यस्थल पर या कहीं और सुरक्षित नहीं हैं। हमारी जिंदगी और करियर हमेशा दांव पर लगे रहते हैं। 

कुछ लोग सोचते हैं कि यह मुनाफा कमाने वाला पेशा है। मैं आपको याद दिला दूं कि आधुनिक चिकित्सा इतनी आगे बढ़ चुकी है और अगर समय के साथ कुछ उपकरणों या प्रक्रियाओं की कीमत बढ़ती है तो यह हमारे हाथ में नहीं है। लेकिन समाज की अवास्तविक अपेक्षाएं हमें खलनायक बनाती हैं। 

जल्द ही एक समय आएगा जब कोई भी डाक्टर जोखिम भरी प्रक्रियाएं करने को तैयार नहीं होगा। किसी निश्चित निदान पर पहुंचने के लिए हमें सालों-साल अध्ययन करना पड़ता है। कोई भी इसे नहीं समझता। लेकिन समय आ गया है। इस व्यवहार को स्वीकार नहीं किया जाएगा। सरकार को वाकई डाक्टरों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाने की जरूरत है। यह सिर्फ सोशल मीडिया का विषय नहीं होना चाहिए।
 

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