Edited By Vijay, Updated: 14 Jan, 2023 10:17 PM
अदानी ग्रुप द्वारा अम्बुजा व एसीसी सीमैंट प्लांट बंद होने के बाद अल्ट्राट्रैक सीमैंट की खपत में दोगुना वृद्धि हुई है। जनवरी माह के 14 दिनों में प्रदेश में अल्ट्राटैक सीमैंट की 70 हजार टन की खपत हुई है। यदि स्थितियां यही बनीं तो इस माह में यह आंकड़ा...
सोलन (नरेश पाल): अदानी ग्रुप द्वारा अम्बुजा व एसीसी सीमैंट प्लांट बंद होने के बाद अल्ट्राट्रैक सीमैंट की खपत में दोगुना वृद्धि हुई है। जनवरी माह के 14 दिनों में प्रदेश में अल्ट्राटैक सीमैंट की 70 हजार टन की खपत हुई है। यदि स्थितियां यही बनीं तो इस माह में यह आंकड़ा 1.50 लाख टन को पार कर सकता है। हालांकि दूसरे राज्यों से कई सीमैंट कंपनियों ने प्रदेश में सीमैंट की आपूॢत शुरू कर दी है। डिमांड बढऩे के बावजूद अभी सीमैंट के दामों में वृद्धि नहीं हुई है। अम्बुजा व एसीसी सीमैंट प्लांट बंद होने के बाद बागा स्थित अल्ट्राटैक पर ही प्रदेश के सीमैंट की मांग को पूरी करने की जिम्मेदारी आ गई है। इस सीमैंट प्लांट की क्षमता 5000 हजार टन प्रति सीमैंट उत्पादन की है जबकि प्रदेश में सीमैंट की खपत इससे कहीं अधिक है। आंकड़ों के अनुसार आम दिनों में इस सीमैंट की एक लाख टन या इससे कम की खपत थी। दिसम्बर माह में अल्ट्राटैक सीमैंट की प्रदेश में करीब 1.30 लाख की खपत हुई है।
दोनों सीमैंट उद्योगों में मालभाड़े का अभी विवाद चला हुआ है। इस विवाद की अभी लम्बा खिंचने की उम्मीद है। अल्ट्र्राटैक सीमैंट उद्योग में माल ढुलाई 10.58 रुपए प्रति टन प्रति किलोमीटर के रेट पर ही हो रही है। अम्बुजा सीमैंट उद्योग में भी यही रेट है। यही वजह है कि ट्रांसपोर्टर इस रेट पर अड़े हुए हैं। यदि अम्बुजा व एसीसी सीमैंट उद्योग में रेट इससे कम होते हैं या फिर अदानी ग्रुप व ट्रक ऑप्रेटर सोसायटियों में 10.58 रुपए से कम रेट पर समझौता होता है तो उस स्थिति में अल्ट्राटैक उद्योग के रेट भी कम हो जाएंगे। इसके कारण उन ट्रक ऑप्रेटरों को बड़ा नुक्सान उठाना पड़ेगा, जिनके अम्बुजा व अल्ट्राटैक दोनों में ट्रक चले हुए हैं। यही वजह है कि ट्रक ऑप्रेटर वर्तमान रेट से कम रेट पर काम करने को तैयार नहीं हैं।
प्रदेश सरकार ने इस उद्योग को ही सरकारी सीमैंट के ऑर्डर भी दे दिए हैं। पहले 5 हजार टन सरकारी सीमैंट की आपूर्ति की जाती थी लेकिन अब 10 हजार टन सीमैंट की आपूर्ति करनी पड़ रही है। सीमैंट के विवाद का हल जल्द नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में सीमैंट का संकट गहरा सकता है क्योंकि प्रदेश में सॢदयों में निर्माण कार्य अन्य मौसम की तुलना में कम होता है।
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