Edited By Updated: 07 Oct, 2015 04:59 PM
दशहरे का त्यौहार पूरे देश भर में मनाया जाता है। लेकिन देवभूमि हिमाचल का एक शहर ऐसा भी है जहां दशहरा नहीं मनाया जाता। जहां रावण को आज तक जलाया नहीं गया।
कांगड़ा: दशहरे का त्यौहार पूरे देश भर में मनाया जाता है। लेकिन देवभूमि हिमाचल का एक शहर ऐसा भी है जहां दशहरा नहीं मनाया जाता। जहां रावण को आज तक जलाया नहीं गया। वहीं यहां के लोगों का मानना हैं कि ऐसा करने से भगवान शिव नाराज हो जाते हैं।
आपको बता दें कि यह हिमाचल का बैजनाथ शहर है। मान्यता है कि यहां पर भगवान शिव के जिस शिवलिंग की स्थापना हुई है, उसे रावण यहां लाया था। जहां हिमालय पर सदियों तक तपस्या करने के बाद भगवान शिव ने रावण को दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा था। भगवान शिव को वहीं, कुछ लोग मानते हैं कि जो लोग यहां रावण का पुतला जलाने का प्रयास करते हैं, उन्हें भगवान शिव के क्रोध का सामना करना पड़ा है और उनके साथ अनहोनी की घटनाएं होती रही हैं।
कहते हैं कि यहां भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रावण ने अपने सिर को भी अर्पित कर दिया था। वरदान पाने के बाद रावण ने भगवान शिव को भी सोने की लंका में वास करने की प्रार्थना की। भगवान शिव ने ये मांग मान ली और शिवलिंग रूप में उन्हें लंका में स्थापित करने को कहा। लेकिन भगवान शिव ने शर्त ये रखी कि शिवलिंग को रास्ते में कहीं भी जमीन पर न रखा जाए। जब रावण भारी भरकम शिवलिंग लेकर लंका की ओर जाने लगा। जैसे ही वह बैजनाथ से गुजरा कि रास्ते में उसे लघुशंका मिल गए और वह वही रुक गया। उसने एक गवाले को यह शिवलिंग थमा दिया और कहा कि उसे जमीन पर मत रखना। लेकिन शिवलिंग इतना भारी था कि गवाले ने इसे जमीन पर रख दिया। बाद में रावण ने इस शिवलिंग को यहां से उठाने की भरपूर कोशिश की। लेकिन वह हर बार नाकाम रहा। इस तरह ये शिवलिंग यहीं स्थापित हो गया। लोग मानते हैं कि रावण अपने निजी जीवन में बुरा रहा हो, लेकिन इस शहर में भगवान शिव की स्थापना करने और शिवभक्त होने के नाते उसका पुतला नहीं जलाया जाना चाहिए।