Himachal: हादसे में बाजू खोने के बाद पैरों की उंगलियों से लिखी तकदीर, पास की जेओएआईटी परीक्षा

Edited By Jyoti M, Updated: 24 Feb, 2025 11:16 AM

wrote my fate with my toes passed the joait exam

चुनौतियाँ हर किसी के जीवन में आती हैं, लेकिन जो व्यक्ति इनका डटकर सामना करता है, वही वास्तव में जीवन में सफलता प्राप्त करता है। ऐसा ही एक प्रेरणादायक उदाहरण पेश किया है हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सुंदरनगर के रडू गांव के रहने वाले रजत कुमार ने।

हिमाचल डेस्क। चुनौतियाँ हर किसी के जीवन में आती हैं, लेकिन जो व्यक्ति इनका डटकर सामना करता है, वही वास्तव में जीवन में सफलता प्राप्त करता है। ऐसा ही एक प्रेरणादायक उदाहरण पेश किया है हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सुंदरनगर के रडू गांव के रहने वाले रजत कुमार ने। रजत ने एक हादसे में अपने दोनों बाजू खो दिए थे, लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने जीवन को एक नई दिशा दी। आज रजत न केवल अपनी अद्वितीय मेहनत और संघर्ष के कारण सम्मानित हैं, बल्कि उन्होंने अपनी पैरों की उंगलियों से अपनी तकदीर लिखी और एक सरकारी नौकरी प्राप्त की है।

रजत कुमार की जीवन यात्रा किसी भी व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है। महज सात साल की उम्र में, जब वह अपने दोस्तों के साथ खेल रहे थे, एक खतरनाक हादसा हुआ। रजत एक हाइटेंशन विद्युत लाइन के पास खेलते हुए करंट से झुलस गए थे, जिससे उन्हें दोनों बाजू गंवाने पड़े। इस घटना ने उनके जीवन को एक झटका दिया, लेकिन उनके माता-पिता, दिनेश कुमारी और जयराम, ने रजत को हार मानने की बजाय अपनी मुश्किलों से लड़ने की हिम्मत दी।

रजत के संघर्ष की शुरुआत यहीं से हुई। उन्होंने जीवन के इस बड़े संकट को चुनौती के रूप में लिया। बाजू खोने के बाद भी रजत ने हार नहीं मानी। सबसे पहले, उन्होंने डॉक्टर बनने का सपना देखा और इसके लिए नीट परीक्षा दी। उन्हें नेरचौक मेडिकल कॉलेज में सीट भी मिल गई, लेकिन मेडिकल बोर्ड ने उनकी शारीरिक अक्षमता के कारण उन्हें डॉक्टर बनने से रोक दिया, क्योंकि उनके दोनों हाथ नहीं थे। यह एक और मुश्किल घड़ी थी, लेकिन रजत ने इसका सामना किया और अपनी उम्मीदें नहीं छोड़ीं।

रजत ने इसके बाद मनोविज्ञान में मास्टर डिग्री लेने का निर्णय लिया। इस दौरान भी उन्होंने कठिनाईयों को पार किया और बिना हाथों के भी खुद को आत्मनिर्भर बनाया। उन्होंने अपने पैरों की उंगलियों से पढ़ाई की और लगातार कड़ी मेहनत की। रजत का समर्पण और संघर्ष रंग लाया और अंततः अब सुंदरनगर डिवीजन के लोक निर्माण विभाग में बतौर जेओए आईटी तैनात हुए हैं।

रजत का जीवन इस बात का प्रतीक है कि अगर किसी के पास हिम्मत और आत्मविश्वास हो, तो कोई भी मुश्किल उसे हराने में सफल नहीं हो सकती। आज वह अपने पैरों की उंगलियों से लैपटॉप पर काम करते हैं और सामान्य कर्मचारियों की तरह अपनी नौकरी निभाते हैं। इसके साथ ही, वह बिना हाथों से सुंदर लिखने और मुंह से चित्रकला करने में भी माहिर हैं।

रजत अब प्रशासनिक सेवा की तैयारी कर रहे हैं। उनका सपना है कि वह अपनी मेहनत और संघर्ष से न केवल खुद को, बल्कि समाज को भी एक नया संदेश दें। 

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