Weather Update: हिमाचल के 11 जिलों में आज बारिश का यैलो अलर्ट, जानिए कब तक सताएगा मानसून

Edited By Vijay, Updated: 19 Sep, 2025 12:18 PM

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हिमाचल प्रदेश पर कुदरत का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। मानसून के इस मौसम ने प्रदेश को ऐसे जख्म दिए हैं, जिन्हें भरने में शायद वर्षाें लग जाएं। वहीं मौसम विभाग ने आज फिर किन्नौर को छोड़कर राज्य के बाकी सभी 11 जिलों के लिए बारिश का यैलो अलर्ट जारी...

शिमला: हिमाचल प्रदेश पर कुदरत का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। मानसून के इस मौसम ने प्रदेश को ऐसे जख्म दिए हैं, जिन्हें भरने में शायद वर्षाें लग जाएं। वहीं मौसम विभाग ने आज फिर किन्नौर को छोड़कर राज्य के बाकी सभी 11 जिलों के लिए बारिश का यैलो अलर्ट जारी किया है, जिससे लोगों के मन में फिर से डर बैठ गया है। माैसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार राज्य के कुछ स्थानों पर 25 सितम्बर तक बारिश का दाैर जारी रहने का पूर्वानुमान है। 22 व 23 सितम्बर को पूरे प्रदेश में माैसम साफ रहने के आसार हैं। आज कुछ स्थानों पर बारिश के साथ अंधड़ चलने का की संभावना है। बीती रात बिलासपुर के नयनादेवी में रिकॉर्ड 158.6 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जबकि नाहन 38.2, भटियाट 37.1, बलद्वाड़ा 28.0, काहू 23.5, बिलासपुर 20.3, नंगल बांध 18.2, सराहन 18.0, धर्मशाला 17.8, कोठी 14.2, सुजानपुर टिहरा 14.0, ओलिंडा 12.7, जोगिंद्रनगर 12.0, कांगड़ा और मंडी में 8.8 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई।

550 से ज्यादा सड़कें बंद, बिजली-पानी का संकट
लगातार हो रही बारिश और भूस्खलन ने प्रदेश की जीवनरेखा यानी यातायात व्यवस्था को पूरी तरह से ठप्प कर दिया है। शुक्रवार सुबह तक राज्य में 3 नैशनल हाईवे समेत कुल 552 सड़कें बंद थीं। कुल्लू, मंडी, शिमला और कांगड़ा जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, जहां क्रमशः 202, 158, 50 और 40 सड़कें बंद पड़ी हैं। सड़कों के बंद होने से हजारों लोग जहां-तहां फंसे हुए हैं और उन तक राहत पहुंचाना भी एक बड़ी चुनौती बन गया है। यही नहीं, दूरदराज के गांवों में बिजली और पानी का भी गहरा संकट खड़ा हो गया है। प्रदेश भर में 162 ट्रांसफार्मर खराब हैं और 197 पेयजल योजनाएं ठप हो चुकी हैं। अकेले मंडी जिले की हालत सबसे नाजुक है, जहां 68 ट्रांसफार्मर और 126 पेयजल योजनाएं प्रभावित हैं, जिससे हजारों परिवारों को पीने के पानी के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।

424 जिंदगियां खत्म, हजारों घर तबाह
इस मानसून ने सिर्फ सड़कें और पुल ही नहीं, बल्कि सैंकड़ों जिंदगियां और घर भी छीन लिए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस आपदा में अब तक 424 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 481 लोग घायल हैं और 45 लोग अब भी लापता हैं, जिनके इंतजार में परिवारों की आंखें पथरा चुकी हैं। मंडी जिले में 66, कांगड़ा में 57 और चम्बा में 50 लाेगाें ने जानें गंवाई हैं। इस तबाही ने हजारों परिवारों को बेघर कर दिया है। अब तक 1604 मकान पूरी तरह जमींदोज हो चुके हैं और 7000 से ज्यादा घरों को भारी नुक्सान पहुंचा है। इंसानों के साथ-साथ बेजुबान पशुधन को भी भारी कीमत चुकानी पड़ी है। 2400 से ज्यादा मवेशी और 26000 से अधिक पोल्ट्री पक्षी इस आपदा की भेंट चढ़ चुके हैं।

राज्य में अब तक 4749 करोड़ रुपए से अधिक का नुक्सान 
राज्य सरकार के शुरूआती आकलन के अनुसार यह तबाही अब तक 4749 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का नुक्सान कर चुकी है। सबसे ज्यादा क्षति लोक निर्माण विभाग की सड़कों और पुलों को हुई है। मानसून के दौरान अब तक 146 भूस्खलन, 98 अचानक आई बाढ़ (फ्लैश फ्लड) और 46 बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गई हैं, जो इस आपदा की भयावहता को बयां करती हैं।
 

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