Weather Update : हिमाचल में बारिश-बर्फबारी से नहीं होगा नए साल का स्वागत

Edited By Vijay, Updated: 27 Dec, 2022 08:33 PM

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हिमाचल में पिछले 3 माह से चल रहा ड्राई स्पैल लंबा चल सकता है और कड़ाके की ठंड बरकरार रह सकती है। ऐसे में नए साल का स्वागत इस बार भी बारिश-बर्फबारी से नहीं होगा। मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार हिमाचल में नए साल का आगाज बारिश-बर्फबारी से नहीं...

शिमला (राजेश): हिमाचल में पिछले 3 माह से चल रहा ड्राई स्पैल लंबा चल सकता है और कड़ाके की ठंड बरकरार रह सकती है। ऐसे में नए साल का स्वागत इस बार भी बारिश-बर्फबारी से नहीं होगा। मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार हिमाचल में नए साल का आगाज बारिश-बर्फबारी से नहीं होगा। प्रदेश में 31 दिसम्बर से 2 जनवरी तक मौसम के साफ रहने की संभावना है। हालांकि 29 और 30 दिसम्बर को प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों में हल्की बारिश व बर्फबारी की संभावना है जबकि निचले क्षेत्रों में मौसम साफ रहेगा। पर्यटन नगरों की बात करें तो शिमला के रिज मैदान पर पर्यटकों की काफी भीड़ लग रही है। वहीं कुल्लू-मनाली में भी पर्यटकों की भीड़ उमड़ी हुई है। 

कुकुमसेरी में -5 तो कल्पा में -3.6 डिग्री तापमान
निचले क्षेत्रों में सुबह के समय पड़ने वाला कोहरा जारी है। कोहरे के कारण प्रदेश में शीतलहर चल रही है जिसके कारण लोगों को सुबह और शाम के समय कड़ाके की ठंड से दो चार होना पड़ रहा है। दोपहर में हालांकि धूप खिलने से मौसम सुहावना बना रहता है। प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में न्यूनतम तापमान सबसे कम दर्ज किया गया है। यहां पर कुकुमसेरी का तापमान -5 डिग्री, कल्पा -3.6 डिग्री, मनाली का -0.6 डिग्री, नारकंडा का -0.2 डिग्री, शिमला का 4.5 डिग्री, धर्मशाला का 6.2 डिग्री, ऊना का 3 डिग्री, हमीरपुर का 2.2 डिग्री व मंडी का तापमान 0.3 डिग्री सैल्सियस दर्ज किया गया है।

मौसम की बेरुखी से बागवान परेशान
मौसम की बेरुखी से बागवान परेशान हो गए हैं। सूखे के कारण अगले साल के सेब सीजन पर संकट मंडरा रहा है। बागवानों के अनुसार सेब व अन्य बागवानी फसलों के लिए चिलिंग आवर का होना बहुत जरूरी है। चिलिंग आवर में पौधा सुप्तावस्था में चला जाता है। इसके लिए वातावरण का औसतन तापमान 7 डिग्री से कम होना चाहिए जबकि जमीन का तामपान माइनस में होना जरूरी है लेकिन आलम यह है कि प्रदेश में न तो वातावरण का औसतन तापमान और न ही जमीन का औसतन तापमान 7 डिग्री से कम है। 

कृषि विभाग ने मांगी रिपोर्ट
ड्राई स्पैल के कारण न सिर्फ  बागवानी फसलों पर संकट उत्पन्न हो गया है बल्कि मैदानी इलाकों में उगने वाली पारंपरिक व नकदी फसलों पर भी असर पड़ रहा है। मैदानी इलाकों में सुबह के समय पड़ने वाले कोहरे से जहां फसलें जलने की शिकायतें आ रही हैं तो वहीं बारिश न होने के कारण गेहूं, टमाटर, फूलगोभी की पनीरी और मटर की फसलें सूख रही हैं। वहीं कृषि विभाग ने प्रदेश के सभी जिलों से सूखे के असर की रिपोर्ट मांगी है।

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