Edited By Vijay, Updated: 29 Sep, 2024 06:06 PM
हिमाचल प्रदेश व्यावसायिक शिक्षक कल्याण संघ ने सरकार को एक महीने का अल्टीमेटम दिया है। संघ के पदाधिकारियों ने स्पष्ट कहा है कि यदि सरकार ने वेतन देने वाली कंपनियों को बाहर नहीं किया है तो 1 नवम्बर यानी दिवाली के बाद से प्रदेशभर के व्यावसायिक शिक्षक...
शिमला (प्रीति): हिमाचल प्रदेश व्यावसायिक शिक्षक कल्याण संघ ने सरकार को एक महीने का अल्टीमेटम दिया है। संघ के पदाधिकारियों ने स्पष्ट कहा है कि यदि सरकार ने वेतन देने वाली कंपनियों को बाहर नहीं किया है तो 1 नवम्बर यानी दिवाली के बाद से प्रदेशभर के व्यावसायिक शिक्षक अपने परिवार के साथ सड़कों पर उतरेंगे। प्रैस वार्ता में संघ के अध्यक्ष अश्वनी डटवालिया ने कहा कि पड़ोसी राज्य हरियाणा में इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है, जहां हरियाणा की पूर्व सरकार ने व्यावसायिक शिक्षकों को कंपनियों से छुटकारा दिलाया और व्यावसायिक शिक्षकों को सीधा निगम में शामिल किया। डटवालिया का कहना है कि अगले महीने कंपनियों के साथ एमओयू होने जा रहा है, ऐसे में सरकार केवल भारत सरकार के साथ व्यावसायिक शिक्षा के लिए एमओयू करे। इनमें कंपनियों को बाहर किया जाए। उनका कहना है कि प्रदेश में ये कंपनियां 14 प्रतिशत मैनजमैंट चार्ज वसूलती हैं। यदि सरकार इन्हें बाहर करती है तो सरकार का पैसा बचेगा। उन्होंने कहा है कि सरकार ने व्यावसायिक शिक्षकों को 20 दिनों का सवैतनिक अवकाश प्रदान किया, प्रोजैक्ट अप्रुवल बोर्ड में केंद्र सरकार से सम्मानजनक वेतन की मांग कर व्यावसायिक शिक्षकों के वेतन में बढ़ौतरी की गई। शिक्षकों ने दीवाली तक सरकार से एरियर सहित बढ़ा हुआ वेतन देने की मांग की है।
वर्ष 2013 से कंपनियां कर रही शोषण
राज्य महासचिव नीरज बंसल ने कहा कि कंपनियों का शोषण 2013 से जारी है। कंपनियां शिक्षकों को समय पर वेतन भी नहीं दे रही है। व्यावसायिक शिक्षा को सुदृढ़ करने, गैस्ट लैक्चरर, ऑन जॉब ट्रेनिंग का प्रबंध करना, इंडस्ट्री विजिट का प्रावधान करना, बच्चों की प्लेसमैंट करवाना इत्यादि कार्यों में कंपनियां कोई दिलचस्पी न दिखाकर व्यावसायिक शिक्षकों पर कार्यों का अतिरिक्त बोझ डाल रही है। उनका कहना है कि सिक्योरिटी ट्रेड के व्यावसायिक शिक्षकों को लगभग पूरा माह बीत जाने के बावजूद वेतन किस्तोें में देने की बात कही जा रही है। 6 माह तक मीडिया एंड एंटरटेनमैंट के व्यावसायिक शिक्षकों को वेतन प्रदान नहीं किया गया, जोकी सरासर गलत है।
...तो सरकार पर नहीं पड़ेगा कोई वित्तीय बोझ
नीरज बंसल ने कहा कि कंपनी का काम केवल शिक्षकों को वेतन देना है। इसके लिए सरकार कोई और व्यवस्था कर सकती है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार व्यावसायिक शिक्षकों के लिए निगम या सोसायटी बनाती है तो इसका सरकार पर कोई वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा दिए जा रहे वेतन को सीधे तौर पर व्यावसायिक शिक्षकों को देने की बात कही। गौरतलब है कि व्यावसायिक शिक्षक वर्ष 2013 से स्कूलों में सेवाएं दे रहे हैं। इस समय पर प्रदेश में 2174 व्यावसायिक शिक्षक स्कूलों में कार्यरत हैं।
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