Edited By Jyoti M, Updated: 13 Jan, 2025 12:50 PM
मकर संक्रांति, जो भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखती है, मनाली और इसके आसपास के गांवों में एक अनूठे धार्मिक आयोजन का प्रारंभ करती है। इस दिन से कुछ गांवों में एक विशेष धार्मिक परंपरा का पालन शुरू होता है, जिसमें स्थानीय लोग 42 दिनों तक देवता के...
हिमाचल डेस्क। मकर संक्रांति, जो भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखती है, मनाली और इसके आसपास के गांवों में एक अनूठे धार्मिक आयोजन का प्रारंभ करती है। इस दिन से कुछ गांवों में एक विशेष धार्मिक परंपरा का पालन शुरू होता है, जिसमें स्थानीय लोग 42 दिनों तक देवता के कड़े आदेशों का पालन करते हैं। इस दौरान, पूरे गांव में शांति और स्थिरता बनी रहती है, और मनोरंजन से जुड़ी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया जाता है।
सिमसा और गौशाल गांवों में विशेष प्रतिबंध
मनाली क्षेत्र के सिमसा और गौशाल गांवों सहित नौ अन्य गांवों में 14 जनवरी से एक विशेष धार्मिक आदेश लागू होता है। गौशाल गांव में मकर संक्रांति पर मंगलवार को देवता कंचन नाग, ब्यास और गौतम ऋषि के मंदिर के कपाट बंद होते ही टीवी, रेडियो लगाने पर देव प्रतिबंध लग जाएगा। इस दौरान, ग्रामीणों को 42 दिनों तक किसी भी तरह के शोर-शराबे से बचने का आदेश दिया जाता है। यह प्रतिबंध टीवी, रेडियो, डीजे, और अन्य सभी मनोरंजन उपकरणों पर लागू होता है। इसके अतिरिक्त, कृषि कार्यों में भी कुछ सीमाएं तय की जाती हैं।
मान्यता है कि गांव के आराध्य देव 14 जनवरी से तपस्या में लीन हो जाएंगे। मकर संक्रांति पर देवता की मूर्ति पर कपड़े से छानी गई मिट्टी का लेप लगाया जाएगा। विधिवत पूजा के बाद कपाट को बंद किया जाएगा। 42 दिन बाद फागली उत्सव पर मंदिर के कपाट खुलेंगे। इस अवधि के दौरान देवताओं को शांत वातावरण मिले, इसके लिए ग्रामीण गांव में रेडियो व टीवी नहीं चलाएंगे और न ही खेतों का रुख करेंगे। खेतों में खोदाई से संबंधित कार्य नहीं होंगे।
ऊझी घाटी के गोशाल गांव सहित कोठी, सोलंग, पलचान, रुआड़, कुलंग, शनाग, बुरुआ तथा मझाच गांवों में व्यापक प्रतिबंध रहेगा। देवता के कारदार हरि सिंह ने कहा कि घाटी के नौ गांवों के लोग 14 जनवरी से देव प्रतिबंध में बंध जाएंगे। उधर, देव सेनापति कार्तिक स्वामी के सिमसा स्थिति मंदिर के कपाट भी मकर संक्रांति पर बंद होने पर 12 फ़रवरी तक सिमसा, कन्याल, छियाल, मढ़ी, रांगडी में किसी भी तरह का शोर, ऊंची आवाज में गाना बजाना, डीजे व मिट्टी खोदाई पर प्रतिबंध रहेगा। 12 फरवरी को फागली उत्सव पर देवता के कपाट खुलेंगे। इस दिन देवता भविष्यवाणी भी करेंगे।
42 दिन बाद देवता करेंगे भविष्यवाणी
42 दिन बाद आराध्य देवों के सम्मान में फागली उत्सव का आयोजन होगा। देवता स्वर्ग प्रवास से लौटते ही भविष्य में होने वाली सालभर की घटनाओं के बारे भी भविष्यवाणी करेंगे। मंदिर के अंदर हुए लेप को निकाला जाएगा। इसमें कुमकुम, सेब के पेड़ों के पत्ते, अनाज के दाने आदि निकलेंगे। इसके आधार पर सालभर की भविष्यवाणी होगी। इस परंपरा के पीछे एक गहरी धार्मिक मान्यता छिपी है। यह मान्यता है कि देवता इस समय तपस्या और साधना में होते हैं और उन्हें एक शांत वातावरण की आवश्यकता होती है।