Edited By Kuldeep, Updated: 30 Jul, 2025 10:13 PM

बदले दौर और परिस्थितियों में अपराधी तो हाईटैक हुए हैं, लेकिन उस दृष्टि से पुलिस की न तो दशा बदली और न ही दिशा बदल पाई है।
ऊना (सुरेन्द्र शर्मा): बदले दौर और परिस्थितियों में अपराधी तो हाईटैक हुए हैं, लेकिन उस दृष्टि से पुलिस की न तो दशा बदली और न ही दिशा बदल पाई है। बढ़ती हुई जनसंख्या, प्रवासियों की संख्या में लगातार होता इजाफा, बढ़ती हुई आवाजाही तथा सड़कों पर क्रॉस करते हुए लाखों की संख्या में वाहन एक नई चुनौती है। पुलिस के उस हिसाब से न तो साधन बढ़े हैं और न ही संसाधनों में इजाफा हुआ है। खासकर बॉर्डर क्षेत्रों पर स्थितियां काफी बदली हैं। चुनौती दूसरे राज्यों से आने वाले आपराधिक तत्वों को लेकर भी है। नशे के साथ-साथ फिरौतियां, धमकियां और शूटआऊट एक नई चुनौती है। प्रदेश में सोलन के बद्दी नालागढ़ के बाद ऊना एक ऐसे बॉर्डर क्षेत्र के रूप में सामने आ रहा है जहां फिरौतियों, धमकी भरी कॉलों और अब शूटरों का एक नया अध्याय शुरू हुआ है।
इसी प्रकार ट्रैफिक पुलिस में तैनात कांस्टेबल और हैड कांस्टेबल अब भी केवल डंडों के सहारे हैं। यूं तो हैड कांस्टेबल को आईओ का दर्जा दिया गया है, लेकिन उन्हें हथियार तक नहीं दिए गए हैं। कायदे के मुताबिक एएसआई को ही वैपन स्वीकृत किया जाता है। दूसरी तरफ बॉर्डर क्षेत्रों में दूसरे राज्यों से वाहनों में आने वाले लोगों के पास कब कौन सा हथियार हो, इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल होता है। ऐसी स्थिति में आखिर पुलिस कर्मी कैसे अपने आप को सुरक्षित रखें।
27 जुलाई, 2025 को ऊना के बसाल में 2 युवकों द्वारा की अंधाधुंध गोलाबारी और निशाना बनाकर एक युवक का कत्ल करने के दौरान हत्यारे पूरी रैकी कर चुके थे। दरअसल, उस दिन चिंतपूर्णी मंदिर में मेलों की शुरूआत हो चुकी थी और रविवार का दिन था। मंदिर में छुट्टी के दिन भीड़ काफी होती है, जिसे नियंत्रण करने के लिए पुलिस ने थानों व चौकियों सहित एस.पी. ऑफिस के स्टाफ को भी मेला ड्यूटी पर भेज दिया था।
उत्तर भारत की शक्तिपीठ चिंतपूर्णी मंदिर सहित डेरा बाबा बड़भाग सिंह और दूसरे स्थलों में हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यहां ड्यूटी के लिए 500 से अधिक सुरक्षा कर्मियों की मांग की जाती है, लेकिन इसमें 300 से भी कम सुरक्षा बल मिलते हैं। बाकी कमी जिला से पूरी की जाती है। इसी का खामियाजा आम नागरिकों को उठाना पड़ता है, जब आपात स्थिति में थानों व चौकियों में महज कुछ ही कर्मी उपलब्ध होते हैं। ऊना में हुए मर्डर कांड के बाद फरार हत्यारों के इस व्यवस्था की पोल खोली है। यदि उस दिन पर्याप्त पुलिस बल होते, पुलिस ऑनरोड क्यूआरटी की टीम मौजूद होती तो हत्यारे तत्काल गिरफ्त में होते।
ऊना की सीमा पंजाब बॉर्डर से सटी हुई है। जिले में अवैध खनन, नशा और आपराधिक घटनाओं पर नजर रखने के लिए पुलिस संख्या बल बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके साथ-साथ थानों और चौकियों को हाईटैक करने की भी आवश्यकता है। हालांकि पुलिस ने सार्वजनिक स्थलों पर नजर रखने के लिए हाईटैक कैमरे तो लगाएं हैं, लेकिन ये कैमरे अभी तक चालान करने तक ही सीमित हैं, जिस प्रकार की चुनौतियां ऊना जिला में आपराधिक घटनाओं के रूप में सामने आ रही हैं उससे इस जिला सहित प्रदेश के बॉर्डर क्षेत्रों में पुलिस को और मजबूत किए जाने की आवश्यकता है।
एसपी अमित यादव ने माना कि रविवार को अधिकतर पुलिस की तैनाती चिंतपूर्णी मेले के लिए की गई थी। पुलिस की संख्या अभी बढ़ी नहीं है, जो पहले स्वीकृत बल थे वही अब भी कार्य कर रहे हैं। इस बारे में उचित स्तर पर मामला उठाया जाएगा। एसपी ने कहा कि कैमरों से लगातार निगरानी रखी जा रही है। पुलिस उपलब्ध साधनों और संसाधनों से बेहतर कार्य करने का प्रयास कर रही है। आने वाले दिनों में निगरानी और भी अधिक बढ़ाई जाएगी। मर्डर के मामले में पुलिस को कुछ सुराग मिले हैं। लगातार हत्यारों को पकड़ने का प्रयास किया जा रहा है।