Edited By Vijay, Updated: 30 Aug, 2023 12:52 AM
गोबिंद सागर पर बागछाल पुल के निर्माण को लेकर इंतजार की घड़ियां खत्म हो गई हैं। 330 मीटर लंबे इस पुल के दोनों छोर आपस में मिल गए हैं। अहम बात यह है कि इस पुल का कंकरीट कैंटीलीवर स्पैन 185 मीटर है, जो एशिया में सबसे अधिक है।
हमीरपुर व कांगड़ा जिलों की जनता को भी मिलेगा लाभ
झंडूता (ब्यूरो): गोबिंद सागर पर बागछाल पुल के निर्माण को लेकर इंतजार की घड़ियां खत्म हो गई हैं। 330 मीटर लंबे इस पुल के दोनों छोर आपस में मिल गए हैं। अहम बात यह है कि इस पुल का कंकरीट कैंटीलीवर स्पैन 185 मीटर है, जो एशिया में सबसे अधिक है। इस लिहाज से यह पुल न केवल झंडूता समेत पूरे बिलासपुर जिला और प्रदेश की शान बन गया है बल्कि इंजीनियरिंग स्किल्स का बेजोड़ और अद्भुत नमूना भी है। आईएएस अफसर रहे भाजपा विधायक जीतराम कटवाल ने कहा कि इसके लिए झंडूता क्षेत्र की जनता बधाई की पात्र है। झंडूता और नयनादेवी विधानसभा क्षेत्रों को आपस में जोड़ने वाले इस पुल के बनने से दूरियां सिमट गई हैं। न केवल झंडूता बल्कि हमीरपुर व कांगड़ा आदि जिलों के लाखों लोग इससे लाभान्वित होंगे। अब इस पुल के दोनों ओर केवल अप्रोच रोड बनने बाकी हैं। यह कार्य पूरा होते ही इस पुल को जनता को समर्पित कर दिया जाएगा। विधायक जीतराम कटवाल समेत सैंकड़ों अन्य लोग बागछाल पुल के दोनों छोर आपस में जुड़ने की ऐतिहासिक बेला के गवाह बने। कटवाल ने पुल का निर्माण कर रही गैमन कंपनी के अधिकारियों को हार पहनाने के साथ ही शॉल और स्मृतिचिन्ह देकर सम्मानित किया। इस मौके पर जिला परिषद उपाध्यक्ष मान सिंह धीमान, सदस्य शैलजा शर्मा, भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य हरदयाल सिंह चंदेल, झंडूता के मंडलाध्यक्ष रसम सिंह चंदेल, उपाध्यक्ष अमरनाथ कौंडल तथा कमल चौहान, आदि भी मौजूद थे।
वर्ष 2005 में वीरभद्र सिंह ने किया था पुल का शिलान्यास
इस पुल का शिलान्यास अगस्त 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह ने किया था। कुछ साल तक इसका निर्माण कार्य चलता रहा, लेकिन बाद में फ्लड जोन और पिल्लरों के पास दलदल का हवाला देकर काम बंद कर दिया गया। वर्ष 2017 में झंडूता की जनता ने जीतराम कटवाल को पहली बार विधानसभा में भेजा। उन्होंने इस पुल का निर्माण करवाने का बीड़ा उठाते हुए इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी। अनुभवी और दक्ष इंजीनियर बुलाकर उनकी राय लेने के बाद वर्ष 2018 की विधायक प्राथमिकता में इस पुल को डाला गया। इसके लिए न केवल 32.70 करोड़ रुपए की डीपीआर बनवाई गई बल्कि पहले चरण में 22 करोड़ रुपए का प्रावधान भी करवाया गया। उसके बाद युद्ध स्तर पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया।
कोरोना न होता तो एक-डेढ़ साल पहले बन गया होता पुल : कटवाल
जीतराम कटवाल ने कहा कि इस दौरान कोरोना महामारी की वजह से बागछाल पुल के निर्माण की रफ्तार कुछ धीमी पड़ी। यदि यह महामारी नहीं होती तो यह पुल एक-डेढ़ साल पहले ही बनकर तैयार हो चुका होता। बहरहाल, जो काम पिछले डेढ़ दशकों में नहीं हुआ, वह पिछले साढ़े 5 वर्षों में पूरा हुआ है। इन साढ़े 5 वर्षों में उन्होंने अधिकारियों के साथ लगभग 60 बार इस पुल के निर्माण कार्य का जायजा लिया। भाजपा विधायक ने पुल के निर्माण में योगदान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी व अनुराग ठाकुर तथा पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के साथ ही वर्तमान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का भी आभार जताया।
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