आदि हिमानी चामुंडा मंदिर का विकास आज भी अधूरा, श्रद्धालुओं को नहीं मिल रही सुविधाएं

Edited By Jyoti M, Updated: 17 Apr, 2025 05:22 PM

the development of adi himani chamunda temple is still incomplete

धौलाधार की गोद में स्थित सिद्ध शक्तिपीठ मां आदि हिमानी चामुण्डा मंदिर का वैष्णो देवी की तर्ज पर विकास आज भी अधूरा है। यह बात पालमपुर के पूर्व विधायक प्रवीन कुमार ने एक बयान में कही। उन्होंने बताया कि इस मंदिर के कायाकल्प का सपना तत्कालीन मुख्यमंत्री...

पालमपुर। धौलाधार की गोद में स्थित सिद्ध शक्तिपीठ मां आदि हिमानी चामुण्डा मंदिर का वैष्णो देवी की तर्ज पर विकास आज भी अधूरा है। यह बात पालमपुर के पूर्व विधायक प्रवीन कुमार ने एक बयान में कही। उन्होंने बताया कि इस मंदिर के कायाकल्प का सपना तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में देखा गया था, जिसके तहत स्वयं उन्होंने बतौर विधायक कई प्रयास किए थे।

पूर्व विधायक ने बताया कि उस समय मंदिर की दो कमेटियों के आपसी विवाद के चलते इसे चामुण्डा नंदिकेश्वर मंदिर ट्रस्ट में विलीन किया गया। इसके बाद मंदिर के पुनर्विकास की दिशा में योजनाएं बनीं, हैलिकॉप्टर सेवा शुरू की गई और राज्यसभा सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार की सांसद निधि से लगभग 4 किलोमीटर सड़क का निर्माण भी हुआ। इसके साथ ही रज्जू मार्ग (रोपवे) का सर्वेक्षण भी कराया गया, लेकिन ठेकेदार द्वारा काम बीच में छोड़ देने से यह योजना अधर में लटक गई।

हैलिकॉप्टर सेवा भी बंद हो चुकी है और मंदिर भवन का निर्माण कार्य वर्षों से धीमी गति से चल रहा है। वहीं, पेयजल योजना पर लाखों रुपए खर्च होने के बावजूद मंदिर तक आज तक पानी नहीं पहुंच पाया है। प्रवीन कुमार ने कहा कि श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के बावजूद पैदल मार्ग पर बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। करीब 9-10 किलोमीटर लंबे रास्ते में न तो कोई शौचालय है, न वर्षाश्रय। हाल ही में सामाजिक संस्था ‘इन्साफ’ के आग्रह पर राज्यसभा सांसद इन्दु गोस्वामी ने वर्षाश्रय के लिए 10 लाख रुपए की राशि मंजूर की है।

उन्होंने बताया कि इन्साफ संस्था ने स्थानीय पंचायत के सहयोग से वीएमजेएसवाई योजना के तहत सोलर लाइटें लगाई हैं, जिससे अब शाम होते ही पूरा मार्ग रोशन हो उठता है। इससे श्रद्धालु अब रास्ता नहीं भटकते, जबकि पहले ऐसी घटनाएं आम थीं।

पूर्व विधायक ने प्रशासन से मांग की है कि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सभी विभागों की जिम्मेदारी तय की जाए और मंदिर तक पहुंचने वाले दोनों रास्तों जिया-बड़सर और कंड-करडियाना में श्रद्धालुओं का पंजीकरण सुनिश्चित किया जाए, जिससे असामाजिक तत्वों पर नजर रखी जा सके और गंदगी फैलाने जैसी घटनाएं रोकी जा सकें।

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