Edited By Vijay, Updated: 25 Jul, 2025 01:45 PM

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर में आज से श्रावण अष्टमी मेलों की शुरुआत हो गई है। मंदिर परिसर को रंग-बिरंगी रोशनी और सजावट से सजाया गया है, जिससे माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो गया है।
ज्वालामुखी (पंकज): हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित शक्तिपीठ ज्वालामुखी मंदिर में आज से श्रावण अष्टमी मेलों की शुरुआत हो गई है। मंदिर परिसर को रंग-बिरंगी रोशनी और सजावट से सजाया गया है, जिससे माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो गया है। श्रावण अष्टमी मेलों के शुभारंभ पर विशेष पूजा और भोग प्रसाद अर्पित किया गया। हालांकि, पहले दिन सुबह श्रद्धालुओं की संख्या अपेक्षाकृत कम रही। सुबह 5 बजे मंदिर के कपाट विधिवत रूप से खोले गए, जिसके बाद कुछ श्रद्धालु मां ज्वाला की पवित्र ज्योतियों के दर्शन के लिए पहुंचे। आरंभिक भीड़ कम होने के बावजूद पूजा-अर्चना पूरी श्रद्धा और विधि-विधान के साथ की गई।
इस अवसर पर मंदिर प्रशासन और सुरक्षा एजैंसियों ने सभी तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा को लेकर प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। मंदिर क्षेत्र में धारा 144 लागू की गई है, जिसके चलते हथियार या किसी भी प्रकार की आग्नेय वस्तु ले जाना पूर्णतया प्रतिबंधित है। 100 होमगार्ड जवानों के साथ 75 अतिरिक्त पुलिसकर्मी भी तैनात किए गए हैं। इसके अलावा सफाई कर्मचारियों और अन्य व्यवस्थाओं के लिए भी अतिरिक्त स्टाफ को लगाया गया है।
श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए विशेष मेडिकल कैंप भी लगाया गया है, ताकि किसी आपात स्थिति में तुरंत सहायता मिल सके। लंगर व्यवस्था भी पूरे आयोजन के दौरान सुचारू रूप से चलाई जा रही है। मंदिर अधिकारी मनोहर लाल शर्मा ने श्रावण मेलों की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मां ज्वाला के आशीर्वाद से प्रदेश वासियों की सुख-समृद्धि बनी रहे और सभी इस बारिश के मौसम में सुरक्षित रहें। उन्होंने बताया कि मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को सभी आवश्यक सुविधाएं दी जा रही हैं और दर्शनों की व्यवस्था पंक्तिबद्ध की गई है, जिससे कोई अव्यवस्था न हो।
पुजारी एवं मंदिर न्यास सदस्य अविनेंद्र शर्मा ने जानकारी दी कि मेलों के पहले दिन स्थानीय जनता के साथ-साथ दूरदराज से श्रद्धालु भी मंदिर पहुंच रहे हैं। श्रावण नवरात्रों का धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है, क्योंकि यह माह शिव और शक्ति दोनों की उपासना का प्रतीक माना जाता है। भक्तजन इस दौरान माता की चौकियां, लंगर, और भजन-कीर्तन का आयोजन करते हैं। हालांकि पहले दिन श्रद्धालुओं की संख्या थोड़ी कम रही, लेकिन मंदिर प्रशासन को आने वाले दिनों में श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि की पूरी उम्मीद है।