Edited By Simpy Khanna, Updated: 14 Sep, 2019 05:36 PM
किसी भी देश के विकास के लिए उसकी मातृभाषा का योगदान महत्वपूर्ण रहता है। हिमाचल प्रदेश हिंदी भाषी प्रदेश है इसलिए यहां पर हिंदी का प्रचलन अधिक से अधिक हो क्योंकि यहां पर लगभग 100 फीसदी लोग हिंदी भाषा भाषी ही है।
शिमला (योगराज शर्मा) : किसी भी देश के विकास के लिए उसकी मातृभाषा का योगदान महत्वपूर्ण रहता है। हिमाचल प्रदेश हिंदी भाषी प्रदेश है इसलिए यहां पर हिंदी का प्रचलन अधिक से अधिक हो क्योंकि यहां पर लगभग 100 फीसदी लोग हिंदी भाषा भाषी ही है। लेकिन आज भी सरकारी कार्यालयों में हिंदी का जो कामकाज है वह कम होता है क्योंकि लोगों को लगता है कि अगर इंग्लिश भाषा का इस्तेमाल करेंगे तो रोजगार के अवसर भी ज्यादा मिलेंगे जिससे उनका रुतबा बढ़ जाएगा। ऐसी सोच आज भी लोगों में है, जिसे बदलने की जरूरत है।
हिंदी हमारे देश की मातृभाषा है इसका प्रयोग अधिक से अधिक तो जो बच्चे प्रारंभ से अच्छी शिक्षा ग्रहण करते हैं। आम आदमी जो इंग्लिश भाषा को समझ नहीं पाते है उन्हें भी कोर्ट और सरकारी दफ्तरों में हिंदी इस्तेमाल होने पर आसानी से अपने कार्य को आसानी से समझ सकते है। यह बात शिमला में आयोजित हिंदी राजभाषा पखवाड़ा कार्यक्रम में पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कही और इसके लिए समाज के सभी वर्गो को प्रयास करने का आह्वान भी किया।
उन्होंने कहा कि 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार थी तो प्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कार्यालयों में हिंदी भाषा को आवश्यक बना दिया था और काफी समय तक हिंदी भाषा में कार्य भी होता रहा। लेकिन धीरे धीरे अब वह प्रचलन कम होता गया और अंग्रेजी फिर से हिंदी पर हावी हो गयी है।
गौरतलब है कि हिंदी भाषा को भारत की संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को राजभाषा के रूप में स्वीकृति प्रदान की थी उसके बाद 14 सितंबर का दिन हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है ताकि लोगों को हिंदी भाषा जे जयादा से ज्यादा इस्तेमाल के लिए प्रेरित किया जाए।