Edited By Vijay, Updated: 10 Dec, 2022 09:45 PM

सेना के प्रति जज्बा और जुनून कुछ इस कदर छाया कि बचपन से ही सेना की वर्दी पाने की ललक बलवती होती रही। इंजीनियरिंग जैसा पेशा भी इस जुनून को खत्म नहीं कर सका। कुछ ऐसा ही जज्बा हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला निवासी शिवम सहगल में देखने को मिला जो शनिवार को...
देहरादून/शिमला (ब्यूरो): सेना के प्रति जज्बा और जुनून कुछ इस कदर छाया कि बचपन से ही सेना की वर्दी पाने की ललक बलवती होती रही। इंजीनियरिंग जैसा पेशा भी इस जुनून को खत्म नहीं कर सका। कुछ ऐसा ही जज्बा हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला निवासी शिवम सहगल में देखने को मिला जो शनिवार को जैंटलमैन कैडेट से लैफ्टिनैंट बनकर देश सेवा में जुट गए। शिवम सहगल के अंदर शुरू से ही सेना के प्रति लगाव रहा। उन्होंने बताया कि वह एनडीए व सीडीएस की परीक्षा पास करने से पहले पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से कम्प्यूटर साइंस में डिग्री ली। डिग्री लेकर उन्होंने आईएमए का टैक्निकल ग्रैजुएट कोर्स ज्वाइन कर लिया। अब वह सिग्नल कोर में रहकर देश की सेवा करेंगे। शिवम के पिता डॉ. संजय सहगल सहायक प्रोफेसर अैर माता रजनी सहगल बीएसएनल में एसएसई के पद पर कार्यरत हैं।

देश की सेवा पहला कर्तव्य : अभिषेक
वहीं बिलासपुर जिला निवासी अभिषेक चौहान भी सेना में अफसर बन गए। उन्हें शुरू से ही सेना की वर्दी भाती रही। अभिषेक चौहान ने देहरादून स्थित राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज (आरआईएमसी) में शिक्षा ग्रहण की। अभिषेक ने बताया कि देश की सेवा पहला कर्तव्य है। अभिषेक के पिता अनिल चौहान व्यवसायी जबकि माता अंजू चौहान शिक्षिका हैं।
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