Edited By Kuldeep, Updated: 27 Jan, 2025 10:21 PM
जिले के कोटखाई थाने के तहत बहुचर्चित गुड़िया दुष्कर्म व हत्याकांड के मामले में गिरफ्तार किए गए सूरज लॉकअप हत्याकांड में तत्कालीन एसआईटी को दोषी करार देने के बाद इसके सदस्यों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
शिमला (संतोष कुमार): जिले के कोटखाई थाने के तहत बहुचर्चित गुड़िया दुष्कर्म व हत्याकांड के मामले में गिरफ्तार किए गए सूरज लॉकअप हत्याकांड में तत्कालीन एसआईटी को दोषी करार देने के बाद इसके सदस्यों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। सीबीआई चंडीगढ़ की अदालत ने सोमवार को अहम फैसला सुनाते हुए पूर्व आईजी जहूर हैदर जैदी सहित 8 पुलिस कर्मियों को उम्रकैद की सजा के साथ सभी दोषियों को 1-1 लाख रुपए का जुर्माना भी ठोका है। सूरज हत्याकांड में तत्कालीन एसआईटी की अगुवानी कर रहे जहूर जैदी, डीएसपी मनोज जोशी, पुलिस सब इंस्पैक्टर राजिंद्र सिंह, एएसआई दीपचंद शर्मा, मानक मुख्य आरक्षी मोहन लाल व सूरत सिंह, मुख्य आरक्षी रफी मोहम्मद और कांस्टेबल रनीत सटेटा को इस सजा का फरमान सुनाया गया है।
सीबीआई कोर्ट ने सोमवार सुबह दोषियों से उनकी आखिरी अपील सुनी। माना जा रहा है कि यह राज्य में पहली बार हुआ है जब किसी मामले की जांच कर रही एसआईटी के प्रभारी सहित इसके सदस्यों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। 18 जनवरी को सीबीआई कोर्ट ने गवाहों के बयान व सबूतों के आधार पर दोषी करार दिया था और सोमवार को सजा का ऐलान किया गया है। अदालत ने गवाहों के बयान, सबूतों और सभी पक्षों की दलीलों के आधार पर यह निर्णय लिया, वहीं शिमला के तत्कालीन एसपी डीडब्ल्यू नेगी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था। इसके बाद सभी दोषियों को हिरासत में लेकर चंडीगढ़ की बड़ैल जेल भेज दिया गया।
बता दें कि शिमला के कोटखाई में 4 जुलाई 2017 को स्कूल से छात्रा लापता हुई थी, जिसका शव जंगल में मिला था। इस मामले में गिरफ्तार किए गए सूरज की गुड़िया हत्याकांड के 14 दिन बाद 16 जुलाई, 2017 को कोटखाई थाने के लॉकअप में हत्या कर दी गई थी। सूरज के शरीर पर 20 से ज्यादा चोट के निशान मिले थे। एम्स के डॉक्टरों के बोर्ड की रिपोर्ट में सूरज को टॉर्चर करने की पुष्टि हुई थी। सीबीआई जांच में भी सामने आया कि पुलिस के टॉर्चर से ही उसकी मौत हुई थी।