Edited By Kuldeep, Updated: 23 Dec, 2025 09:47 PM

प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि मुकद्दमों का शीघ्रता से निपटारा सुनिश्चित करने के लिए पक्षकारों को साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए 3 से अधिक अवसर नहीं दिए जाने चाहिए।
शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है कि मुकद्दमों का शीघ्रता से निपटारा सुनिश्चित करने के लिए पक्षकारों को साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए 3 से अधिक अवसर नहीं दिए जाने चाहिए। कोर्ट ने कहा कि न्यायालयों को पक्षों द्वारा साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए अनंत काल तक प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल ने साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग करने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि मामलों के निपटारे में देरी का कारण न्यायालयों को ठहराया जाता है, जबकि कोई भी इस बात को नहीं समझता कि वास्तव में देरी पक्षों के आचरण के कारण भी होती है।
मामले के अनुसार कांगड़ा जिला अदालत ने 18 नवम्बर, 2024 को पारित आदेश के तहत मुकद्दमा दायर करने वाले वादी को साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त समय देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि वादी को अपना साक्ष्य प्रस्तुत करने का अंतिम अवसर दिया गया था, फिर भी वह अदालत में उपस्थित नहीं हुआ। वादी के वकील ने अपना साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए फिर से मामले की सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया।
प्रार्थना पर विचार किया गया और अस्वीकृत कर दिया गया, क्योंकि रिकॉर्ड के अनुसार इस मामले में मुद्दे 9.01.2018 को निर्धारित किए गए थे और उसके बाद मामला वादी के साक्ष्य दर्ज करने के लिए 12.04.2018 को निर्धारित किया गया था। तब से वादी को अपना साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए पर्याप्त अवसर दिए गए हैं, लेकिन वादी अपना साक्ष्य प्रस्तुत करने में विफल रहा है। जिला अदालत ने कहा था कि कि यह दीवानी मुकद्दमा वर्ष 2015 से संबंधित है और इसे 20.06.2015 को न्यायालय में दायर किया गया था। यह मामला 9 वर्ष पुराना है। इसलिए वादी को कोई और अवसर देना उचित नहीं होगा। अतः न्यायालय के आदेशानुसार वादी की गवाही समाप्त की जाती है। वादी ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।