Edited By Kuldeep, Updated: 19 Nov, 2024 10:04 PM
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में सेली हाईड्रो इलैक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड की अपफ्रंट मनी को ब्याज सहित लौटाने को लेकर दायर प्रदेश सरकार की अपील पर सुनवाई 16 दिसम्बर के लिए टल गई है।
शिमला (मनोहर): हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में सेली हाईड्रो इलैक्ट्रिक पावर कंपनी लिमिटेड की अपफ्रंट मनी को ब्याज सहित लौटाने को लेकर दायर प्रदेश सरकार की अपील पर सुनवाई 16 दिसम्बर के लिए टल गई है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की खंडपीठ के समक्ष सरकार की ओर से बताया कि इस मामले पर सरकार की ओर से महाधिवक्ता पक्ष रखेंगे और बताया गया कि वे अभी वे दिल्ली गए हैं इसलिए मामले को अगली तारीख तक स्थगित किया जाए। इस पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई 16 दिसम्बर को निर्धारित की है। गौरतलब है कि सोमवार को ही हाईकोर्ट की एकल पीठ ने कंपनी द्वारा दायर अनुपालना याचिका में हाईकोर्ट की ही एकल पीठ के आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित करने के लिए हिमाचल भवन, 27-सिकंदरा रोड, मंडी हाऊस, नई दिल्ली को कुर्क करने के आदेश जारी किए हैं।
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने कंपनी की रिट याचिका में 13 जनवरी 2023 को सरकार को याचिकाकर्त्ता द्वारा जमा किए गए 64.00 करोड़ रुपए के अग्रिम प्रीमियम को याचिका दायर करने की तारीख से इसकी वसूली तक 7 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज सहित वापस करने का निर्देश दिया था। इस फैसले पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस शर्त पर रोक लगा दी थी कि यदि प्रतिवादी उपरोक्त राशि कोर्ट में जमा करवाने में असमर्थ रहते हैं तो अंतरिम आदेश हटा लिए जाएंगे। राशि जमा न करने पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 15 जुलाई 2024 को एकल पीठ के फैसले पर लगाई रोक को हटाने के आदेश जारी किए। मामले के अनुसार वर्ष 2009 में राज्य सरकार ने प्रार्थी कंपनी को लाहौल-स्पीति में स्थापित होने वाले 320 मैगावाट का बिजली प्रोजैक्ट आबंटित किया था।
सरकार और कंपनी के बीच समझौते के अनुसार सरकार द्वारा कंपनी को कुछ सुविधाएं उपलब्ध करवाई जानी थीं ताकि समय पर प्रोजैक्ट का काम समय पर शुरू हो सके। प्रोजैक्ट लगाने के लिए मूलभूत सुविधाएं न मिलने के कारण कंपनी को प्रोजैक्ट बंद करना पड़ा। इस पर सरकार ने अपफ्रंट प्रीमियम जब्त कर लिया। मामला हाईकोर्ट के समक्ष आने पर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाया और सरकार को सेली कंपनी की 64 करोड़ रुपए की अपफ्रंट मनी 7 फीसदी ब्याज सहित वापस लौटाने के आदेश दिए थे। इस फैसले को खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी गई है जिसमें अंतरिम राहत मिलने के बावजूद सरकार ने उपरोक्त राशि कोर्ट में जमा नहीं करवाई। इस कारण सरकार को दिए अंतरिम राहत वाले आदेश कोर्ट ने वापिस ले लिए थे।