Himachal: बिजली के बिल से किसानों को भी झटके दे रही है शुल्क की सरकार : जयराम

Edited By Kuldeep, Updated: 11 May, 2025 07:02 PM

shimla farmer electricity bill

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया है कि व्यवस्था परिवर्तन वाली सुक्खू सरकार शुल्क की सरकार हो गई है और प्रदेशवासियों को लगातार किसी न किसी तरह के शुल्क के झटके दे रही है।

शिमला (हैडली): नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया है कि व्यवस्था परिवर्तन वाली सुक्खू सरकार शुल्क की सरकार हो गई है और प्रदेशवासियों को लगातार किसी न किसी तरह के शुल्क के झटके दे रही है। व्यवस्था परिवर्तन वाली सुख की सरकार किसानों को भी बिजली के बिल के झटके दे रही है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार किसानों द्वारा सिंचाई को लिए बिजली कनैक्शन के बिजली बिल अब 5 से 6 गुना बढ़ाकर वसूल रही है। यह गरीब किसानों के साथ ज्यादती है। खेतों की सिंचाई के लिए इस्तेमाल होने वाले बिजली के बिल में इस प्रकार की वृद्धि लोगों की समझ के परे है। उन्होंने आरोप लगाया कि पूरे देश में कांग्रेस किसान के नाम पर शोर मचाती है और हिमाचल में किसानों के सिंचाई के बिल को 5 गुना बढ़ा देती है। क्या मुख्यमंत्री सिर्फ अपने हवा-हवाई वायदों में ही किसानों का हितैषी होने का दावा करते हैं? किसानों के साथ सरकार की यह मनमानी नहीं चलेगी।

जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश भर से उन्हें कई किसान परिवारों के फोन आ रहे हैं। सब बिजली के बढ़े हुए बिल को लेकर अपनी बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऊना के कुछ किसानों द्वारा भेजे गए बिजली बिल को उन्होंने स्वयं देखा, जिसमें 1 मार्च से 1 अप्रैल के बीच 605 यूनिट बिजली खर्च हुई थी और उनका बिजली बिल 669 रुपए का था, जिसमें 370 रुपए सरकार द्वारा लगाए गए सैस के भी शामिल थे। उसी किसान द्वारा मई माह में 591 यूनिट बिजली का उपयोग अपने खेतों की सिंचाई के लिए करने पर बिजली का बिल 3,445 रुपए का थमाया गया है, जिसमे 356 रुपए सैस के भी शामिल हैं। कई किसानों के बिजली बिल इसी प्रकार कई-कई गुना बढ़ कर आए हैं। यह प्रदेश के किसानों के साथ अन्याय है। सरकार व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर लोगों से इस तरह की वसूली नहीं कर सकती है। सरकार किसानों को राहत देने की बजाय उन्हें बिजली के झटके क्यों दे रही है।

सरकार नहीं करना चाहती वैल्फेयर स्टेट के रूप में काम
जयराम ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकार वैल्फेयर स्टेट के रूप में काम ही नहीं करना चाहती है। सरकार जितनी जिम्मेदारी से प्रदेश के लोगों पर टैक्स लाद रही है और शुल्क लगा रही है, काश उसी तरह से लोगों की सुविधाओं का ख्याल रखती तो बेहतर था। एक दिन सरकार छुट्टे का बहाना बनाकर बसों का मिनिमम किराया 5 रुपए से बढ़ाकर 10 रुपए कर देती है तो कभी लंबी दूरी की बसों का 15 फीसदी से ज्यादा किराया बढ़ा देती है। कभी आऊटसोर्स को नौकरी से निकाल देती है तो कभी बेरोजगारों की आवाज दबाने की कोशिश करती है और कभी कर्मचारियों को मुकद्दमे के जोर पर डराती है। इसके साथ ही प्रदेश के लोगों से हिम केयर से होने वाले इलाज की सुविधा भी छीन लेती है। उन्होंने सरकार को तानाशाही की बजाय मानवीय दृष्टि से विचार करने की सलाह दी है।

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