Edited By Kuldeep, Updated: 24 Dec, 2025 09:29 PM

प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी व अर्धसरकारी विभागों सहित निगमों और बोर्डों में आऊटसोर्स भर्तियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 30 दिसम्बर से अंतिम सुनवाई शुरू करने के आदेश जारी किए हैं।
शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी व अर्धसरकारी विभागों सहित निगमों और बोर्डों में आऊटसोर्स भर्तियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 30 दिसम्बर से अंतिम सुनवाई शुरू करने के आदेश जारी किए हैं। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया व न्यायाधीश जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ के समक्ष इस मामले पर आंशिक तौर पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने याचिकाकर्त्ताओं को सरकार द्वारा लाई गई आऊटसोर्स नीति की वैद्यता को चुनौती देने वाले मुद्दे पर अपनी दलीलें केंद्रित करने को कहा।
कोर्ट को बताया गया था कि प्रदेश में आऊटसोर्स भर्तियों के नाम पर बड़ा गोरखधंधा चल रहा है। अनेकों गैरपंजीकृत संस्थाओं को आऊटसोर्स कर्मियों की भर्तियों का जिम्मा सौंपा गया है और अनेकों बिना किसी अनुभव के विभागों को मैनपावर उपलब्ध करवा रहे हैं। सुनवाई के दौरान बताया गया कि अधिकांश मामलों में नई टैंडर प्रक्रिया के बावजूद आऊटसोर्स कर्मी तो वहीं रहते हैं, जबकि उनके ठेकेदार बदल जाते हैं।
इससे केवल कमीशन की अदला-बदली होती है और आऊटसोर्स कर्मी वर्षों से एक स्थान पर डटा रहता है। कोर्ट को बताया गया कि हजारों नियमित पदों के खिलाफ आऊटसोर्स कर्मियों की भर्तियां की गई हैं, जबकि इन्हें केवल आपातकालीन परिस्थितियों में ही लगाए जाने की व्यवस्था होती है। कोर्ट से इस पूरे गोरखधंधे की एसआईटी जांच की मांग की गई थी परंतु कोर्ट ने भानुमती का पिटारा खोलने की बजाए फिलहाल आऊटसोर्स नीति की वैद्यता पर अपना ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी।