घटिया दवाइयों के उत्पादन पर प्रदेश से जवाब तलब

Edited By Kuldeep, Updated: 03 Jul, 2023 11:56 PM

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प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश में घटिया दवाइयों के उत्पादन बाबत राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। अदालत ने सूबे में दवाइयों के परीक्षण प्रयोगशाला न होने और दवाइयों के घटिया उत्पादन पर 29 अगस्त को सुनवाई निर्धारित की है।

शिमला (मनोहर): प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश में घटिया दवाइयों के उत्पादन बाबत राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। अदालत ने सूबे में दवाइयों के परीक्षण प्रयोगशाला न होने और दवाइयों के घटिया उत्पादन पर 29 अगस्त को सुनवाई निर्धारित की है। दैनिक समाचार पत्र में छपी खबर पर अदालत ने जनहित में याचिका दर्ज की है। खबर में उजागर किया गया है कि राष्ट्रीय औषधि नियामक और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने हिमाचल में निर्मित 12 दवा के नमूनों को घटिया घोषित किया है, जबकि एक नमूने को नकली पाया है। नकली पाई जाने वाली दवाओं में एक पशु चिकित्सा दवा भी शामिल है। हिमाचल से घटिया घोषित की गई दवाओं में एस्ट्राजोल इंजैक्शन, एस्ट्रीजो टैबलेट, मिसोप्रोस्टोल टैबलेट, एमोक्सिसिलिन कैप्सूल, पैरासिटामोल ओरल सस्पैंशन, फिनाविव टैबलेट, पैंटोप्राजोल और डोमपेरिडोन कैप्सूल, रैंटिडिन हाइड्रोक्लोराप्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश में घटिया दवाइयों के उत्पादन बाबत राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। अदालत ने सूबे में दवाइयों के परीक्षण प्रयोगशाला न होने और दवाइयों के घटिया उत्पादन पर 29 अगस्त को सुनवाई निर्धारित की है।इड टैबलेट और लेवोसेटिरिजिन और इबुप्रोफेन टैबलेट शामिल हैं।

जानवरों में जीवाणु संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एनरोफ्लॉक्सासिन इंजैक्शन भी सूची में शामिल है। घटिया और नकली दवाइयों के निर्माता बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़, काला अंब के साथ-साथ पांवटा साहिब के औद्योगिक समूहों में स्थित हैं। इन दवाओं का उपयोग स्तन कैंसर के इलाज के अलावा रक्त में कैल्शियम के उच्च स्तर, बुखार, एसिड रिफ्लक्स रोग जैसे सीने में बेचैनी, दर्द और एलर्जी और बालों के झडऩे जैसी सामान्य बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। इन दवाइयों की परख सामग्री की कमी, विघटन, वजन में एकरूपता, कण पदार्थ की उपस्थिति आदि जैसे मुद्दों की पहचान के गुणवत्ता मानकों में विफल रहे मुख्य कारणों के रूप में की गई है।

दवा परीक्षण प्रयोगशाला न होने पर कड़ा संज्ञान
वहीं, दूसरी ओर सूबे में दवाइयों के परीक्षण प्रयोगशाला न होने पर कड़ा संज्ञान लिया है। वर्ष 2017 में सैंट्रल बैंक ने बद्दी में दवाइयों के परीक्षण प्रयोगशाला के निर्माण के लिए 30 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की थी। वर्ष 2014 में उद्योग विभाग की ओर से 3.50 करोड़ रुपए प्रयोगशाला के निर्माण के लिए खर्च किए गए हैं लेकिन अभी तक इसे चालू नहीं किया गया है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने 12वीं पंच वर्षीय योजना के तहत 30 करोड़ रुपए की राशि जारी की थी। आरोप लगाया गया है कि दवाइयों के परीक्षण के लिए प्रयोगशाला न होने के कारण घटिया दवाइयों का उत्पादन किया जा रहा है।

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